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मयकदे पर यूं ही सावन की घटा बरसा करे..

सुलतानपुर : 'मयकदे पर यूं ही सावन की घटा बरसा करे/उसकी खुशबू से ये गुलशन ता अबर महका करे' ये पंक्तिय

By Edited By: Published: Wed, 27 May 2015 08:19 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2015 08:19 PM (IST)
मयकदे पर यूं ही सावन की घटा बरसा करे..

सुलतानपुर : 'मयकदे पर यूं ही सावन की घटा बरसा करे/उसकी खुशबू से ये गुलशन ता अबर महका करे' ये पंक्तियां हैं शायर हबीब अजमली की। जो उन्होंने अंजुमन तामीर-ए-अदब के तत्वावधान में बनकेपुर में आयोजित कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में सुनाई।

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कोलकाता से आए शायर हबीब हाशमी का ये शेर 'मैंने सोचा था निगाहों से मिला दूं उसको, क्या करुं रिश्ता मेरा उससे लहू का निकला..' खूब सराहे गए। नामी-गिरामी शायर सरदार पंछी ने कई गजलें सुनाईं। उन्होंने अपने इस शेर पर 'हाथ तो बेशक मिलाएं, हर सियासतदां के साथ/लेकिन उसके बाद अपनी उंगलियां गिन लीजिए..'खूब तारीफ बंटोरी। मुजफ्फरनगर से आए खुर्शीद हैदर ने देश के हालात को यूं बयां किया 'किसी का कल संवारा जा रहा है, हमें किश्तों में मारा जा रहा है.'। कोलकाता के शायर इरशाद आरजू ने सुनाया 'नमरूद की तरह है न सरदाद की तरह, मेरा जुनूने इश्क है फरहाद की तरह' इस पर खूब तालियां बजीं। स्थानीय कवि डीएम मिश्र की इन पंक्तियों 'बहुत अच्छा हुआ जो सब्जबागों से मैं बच आया, गनीमत है मेरे छप्पर पे लौकी अब भी फलती है' को खूब वाहवाही मिली। जाहिल सुलतानपुरी ने सुनाया 'जहां इज्जत से जाहिल, मुझको बुलवाया नहीं जाता, वहां मैं तो बड़ी सै हूं, मेरा साया नहीं जाता।' नीलम कश्यप ने गजल सुनाई 'कल जो मिलता रहा बहाने से, अब तो आता नहीं बुलाने से.'। खालिद नैय्यर, डॉ.मन्नान, डॉ.रफीक, मोबीन लहरपुरी, परवाज आजमी, आजम अली, नासिर जौनपुरी, अजमत सिद्दीकी ने भी कलाम पेश किए। हसीब सिद्दीकी ने निजामत की।


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