.. जीत-हार छोड़ जान बचाकर भागे
जीतेंद्र श्रीवास्तव, सुल्तानपुर समय अदालतों में बहस का था। वकील, वादकादी व जज तन्मयता से फाइलों म
जीतेंद्र श्रीवास्तव, सुल्तानपुर
समय अदालतों में बहस का था। वकील, वादकादी व जज तन्मयता से फाइलों में उलझे थे। न्याय की तुला अपने पक्ष में करने के लिए नजीरें पेश कर रहे थे। पर, धरती हिली तो जीत-हार की ¨चता छोड़ सब जान बचाकर अदालत से बाहर भाग निकले।
भूकंप का पहला झटका आया तो जिलाजज राकेश कुमार उपाध्याय जमानत की सुनवाई कर रहेथे। उन्हें एहसास हुआ तो वकीलों से जमीन कंप-कंपाने के बारे पूछा। पहले तो सबने ना-नुकुर की। लेकिन पलभर में सबको भूकंप का एहसास हो गया और क्षण भर में न्यायिक कक्ष छोड़ मैदान की ओर भाग निकले। कमोवेश यही स्थिति अधिवक्ता कक्ष में दिखी। तिमंजिला भवन में सबसे ऊपर के तल से भागो-भागो की आवाज गूंजी थी। जब तक लोग कुछ समझ पाते, भगदड़ मच गई। कोई फाइल तो कोई किताबें लेकर भागा। तो कुछ लोग चेंबर का दरवाजा बंद करने लगे। सीढि़यों पर धक्का-मुक्की के बीच जमीन पर आए तो हर तरफ अफरातफरी दिखाई पड़ी। अधिवक्ता, वादकारी , कर्मचारी और न्यायिक अधिकारी सबके सब कामकाज छोड़ मैदान में खड़े थे। कुछ मीडिया वाले पहुंचे तो आसपास के जिलों व तीव्रता की बात पूछने लगे। नई वि¨ल्डग के तीसरे तल पर फाइलों से भरी आलमारियां तक हिलने लगीं। हर तरफ हल्ला-गुहार और जान बचाने के लिए भगदड़ ही दिखाई पड़ी। कुछ देर ठहरने के बाद फिर सब अपने कार्य में जुटने लगे। लेकिन दोबारा झटके का एहसास हुआ तो दहशत बढ़ गई। न्यायिक व अधिवक्ता कक्ष से बाहर आए तो दोबारा भवनों में जाने का साहस नहीं जुटा पाए। अदालतों में ताला बंद हो गया। बार एसोसिएशन ने भूकंप से असुरक्षित होने का आधार लेकर हड़ताल की घोषणा कर दी। घंटेभर में ही सिविल कोर्ट परिसर में सन्नाटा पसर गया। शाम करीब चार बजे मुकदमों में सामान्य तारीखे (जीडी) लगा दी गईं।