क्षेत्रीय बनकर रह गया जिलास्तरीय किसान मेला
सुल्तानपुर : किसानों को उन्नत बीज, खाद व नवीनतम तकनीक की जानकारी देने के लिए आयोजित तीन दिवसीय महोत
सुल्तानपुर : किसानों को उन्नत बीज, खाद व नवीनतम तकनीक की जानकारी देने के लिए आयोजित तीन दिवसीय महोत्सव रविवार को खानापूरी के साथ समाप्त हो गया। अंतिम दिन भी कृषि विशेषज्ञों को वैज्ञानिक पद्धति से खेती की जानकारी देने के लिए आमंत्रित किया गया था, पर इसका लाभ लेने वालों की संख्या गिनी रही। वहीं, मेले में लगे कई स्टालों पर किसानों का टोटा रहा।
अहिमाने स्थित कृषि भवन में जिलास्तरीय किसान महोत्सव क्षेत्रीय मेले जैसा नजर आया। किसानों की सहभागिता दिनोंदिन कम होती गई। विभागीय कर्मियों के मुताबिक पहले दिन जहां एक हजार किसानों ने मेले में प्रतिभाग किया वहीं दूसरे दिन सात सौ व अंतिम दिन महज पांच किसान ही पहुंचे। तीनों दिन में 74 क्विंटल गेंहू अनुदान पर बांटा गया। लेकिन जिले के किसानों की तादात के सापेक्ष यह मात्रा बेहद कम है। विभागीय अफसरों के मुताबिक किसानों को कीटनाशक व कुछ उपकरण भी अनुदान पर बांटे गए। इस दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ.एमबी सिंह, लखनऊ के शशांक शेखर व अन्य ने किसानों की समस्याओं के समाधान का सुझाव दिया। लोक गायक राजवीर श्रीवास्तव व साथियों ने गीतों के जरिये खेती-किसानी के लिए लोगों को प्रेरित किया।
इनसेट..वैज्ञानिक तकनीक अपनाएं, कमाएं मुनाफा
महोत्सव के अंतिम दिन के मुख्य अतिथि सुल्तानपुर विस क्षेत्र विधायक अनूप संडा रहे। उन्होंने कहा कि किसान वैज्ञानिक तकनीक अपनाएं। इससे फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ वे मुनाफा भी कमा सकते हैं। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली योजनाओं की जानकारी कर उसका लाभ लेने का आह्वान किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मुख्य विकास अधिकारी श्रीकांत मिश्र ने कहा कि मेले में आए किसान यहां से उन्नत बीज व तकनीक की जानकारी लें और उसका प्रयोग करें। जो समस्याएं हों उसका वैज्ञानिकों से सुझाव लें। उन्होंने न्याय पंचायत स्तर किसान मेले का आयोजन किये जाने का आह्वान किया।
इनसेट..दूरस्थ ब्लाकों के किसानों की सहभागिता नगण्य
किसान महोत्सव में जिला मुख्यालय के समीपवर्ती ब्लाक दूबेपुर, कूरेभार व भदैंया के अधिकतर किसान रहे। वहीं दूरस्थ विकास खंडों अखंडनगर, करौंदीकलां, दोस्तपुर, बल्दीराय, प्रतापपुर कमैचा, मोतिगरपुर, कादीपुर आदि के कृषक नहीं नजर आए। उत्कृष्ट किसानों की मानें तो लगातार प्रचार-प्रसार न होने से लोगों को महोत्सव आयोजन की जानकारी नहीं मिल पाई। वहीं जागरूक किसानों का कहना है कि पिछली बार कई उपकरण अनुदान पर दिए गए थे। जो इसबार उपलब्ध नही रहे। ऐसे में जो किसान आए भी, जरूरी सामान नहीं मिलने से वे मायूस लौट गए।
इनसेट..: ..यहां तो बंाटा जाता है पैसा
किसान मेले का आयोजकों ने भले ही खासा प्रचार-प्रसार न किया हो, लेकिन महोत्सव की कवरेज पाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी गई। सब कुछ ठीक दिखाने के लिए महकमें के एक बाबू द्वारा मीडियाकर्मियों को पैसे की पेशकश की गई। जागरण प्रतिनिधि ने मना किया तो बोला, सर ये विभाग का प्रेम है सबको दिया जाता है। हालांकि जागरण प्रतिनिधि ने पेड न्यूज प्रकाशित करने में साफ तौर पर असमर्थता जताई तब भी उसने बहलाने का प्रयास किया। गौरतलब है कि यह वही बाबू है जो पूरा उपनिदेशक कृषि दफ्तर संभालता है। गत दिनों क्षेत्रीय कृषि मेले से संबंधित फर्जी दावे वाली विज्ञप्ति मीडिया को जारी किया था। जिसकी पुष्टि स्वयं उपनिदेशक राघव प्रसाद वर्मा ने भी किया था।