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दिव्यांग दंपती के बच्चे नहीं पहुंच पा रहे स्कूल

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : अपनी दिव्यांगता के कारण बीच में ही पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हुए बिल्ली निवासी रामपूजन विश्वकर्मा अपनी बदतर जिंदगी से परेशान हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Jul 2018 09:14 PM (IST)Updated: Wed, 11 Jul 2018 09:14 PM (IST)
दिव्यांग दंपती के बच्चे नहीं पहुंच पा रहे स्कूल

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : अपनी दिव्यांगता के कारण बीच में ही पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हुए बिल्ली निवासी रामपूजन विश्वकर्मा अपनी बदतर ¨जदगी से परेशान हैं। उनकी पत्नी उर्मिला भी पैर से दिव्यांग हैं। ये दंपती बिल्ली स्टेशन मार्ग की खराबी के कारण अपने जुड़वा बच्चों लव व कुश लगभग चार वर्ष को शिक्षा नहीं दिला पा रहे हैं। जबकि उनकी इच्छा है कि बच्चे पढ़ लिखकर होनहार बनें। इसके लिए दंपती ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि मार्ग का निर्माण कराया जाए।

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रामपूजन शिक्षा के महत्व को पूरी तरह जानते हैं। वे कहते हैं कि वर्तमान में सरकारों द्वारा जिस तरह के अवसर दिए जा रहे हैं उसमें दिव्यांगता से भी बड़ा श्राप असाक्षर होना है इसलिए वह चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर अपना जीवन सुधार लें। मगर बच्चों को पढ़ाना उनके लिए सपने के समान हो गया है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत पढ़ाई तो मुफ्त हो गई है लेकिन बच्चों को स्कूल तक छोड़ना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है। बच्चों के स्कूल जाने में उनकी शारीरिक लाचारी आड़े आ रही है। दोनों पैर से विकलांग रामपूजन बच्चों को स्कूल नहीं छोड़ पा रहे हैं। उनके निवास से स्कूल लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर है। पहले स्कूल के रास्ते में रेलवे ट्रैक जहां बाधा पैदा करता है वहीं दूसरे स्कूल जाने में बिल्ली स्टेशन मार्ग की जर्जरता परेशान करती है। रामपूजन के पास ट्राई साइकिल है लेकिन स्टेशन मार्ग के गड्ढे में तब्दील होने के कारण उस पर चलना खतरनाक है। बताते हैं कि कई बार उक्त मार्ग पर उनकी ट्राई साइकिल पलट चुकी है। ऐसे में बच्चों की जान खतरे में डालना उन्हें गंवारा नहीं है क्योंकि इस मार्ग पर खनन क्षेत्र के भारी वाहन निरंतर चलते हैं। उन्होंने बच्चों के स्कूल तक जाने में हो रहे व्यवधान के लिए कई स्तरों पर गुहार लगाईं लेकिन सब अनसुनी कर दी गई। अब उन्होंने जिला प्रशासन का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया है। बड़ी मुसीबतों से लोहे का भट्टी का काम कर परिवार चलाने वाले रामपूजन अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने को अपनी सबसे बड़ी इच्छा बताते हैं।


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