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तुलसी से घर भगवान को हो जाता है समर्पित

राब‌र्ट्सगंज के आरटीएस क्लब में चल रहे नौ दिवसीय श्री राम चरित मानस नवाह्न पाठ महायज्ञ के छठवें दिन बुधवार को यज्ञ मंडप की परिक्रमा करने के लिए सुबह नौ बजे से ही लोगों की भीड़ उमड़ी रही। पूजन-अर्चन करने के बाद भू-देवों द्वारा मानस पाठ किया गया। इसके पूर्व पांचवें दिन मंगलवार की रात में प्रवचन सुनने के लिए काफी संख्या में लोग जुटे रहे। दिन भर मानस की चौपाइयों से शहर का कोना-कोना गुंजता रहा। मंगलवार की रात गोरखपुर से आये प्रव

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Jan 2020 07:34 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jan 2020 06:10 AM (IST)
तुलसी से घर भगवान को हो जाता है समर्पित
तुलसी से घर भगवान को हो जाता है समर्पित

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : राब‌र्ट्सगंज के आरटीएस क्लब में चल रहे नौ दिवसीय श्री राम चरित मानस नवाह्न पाठ महायज्ञ के छठवें दिन बुधवार को यज्ञ मंडप की परिक्रमा करने के लिए सुबह नौ बजे से ही लोगों की भीड़ उमड़ी रही। पूजन-अर्चन करने के बाद भू-देवों द्वारा मानस पाठ किया गया। इसके पूर्व पांचवें दिन मंगलवार की रात में प्रवचन सुनने के लिए काफी संख्या में लोग जुटे रहे। दिन भर मानस की चौपाइयों से शहर का कोना-कोना गूंजता रहा।

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मंगलवार की रात गोरखपुर से आये प्रवचनकर्ता पं. हेमंत त्रिपाठी ने दशरथ मरण की कथा सुनाते हुए बताया कि शब्द वेदी वाण से श्रवण की हत्या के कारण राजा दशरथ को श्रवण के पिता-माता द्वारा श्राप दिया गया था। इसलिए भगवान राम के वियोग में राजा दशरथ को अपना प्राण त्यागना पड़ा। राजा दशरथ ने कैकेयी को दो वरदान देने को कहा था, उसी के बदले कैकेयी ने वरदान मांगा था। उत्तराखंड ऋषिकेश से आये पं. देवी प्रसाद ने बाल्मिकी आश्रम का वर्णन करते हुए कहा कि राम जब बाल्मिकी आश्रम गये तब उन्होंने राम का स्वागत करते हुए भगवान को प्रणाम करते हुए कंद मूल खाने को दिया, जो भगवान को बहुत अच्छा लगा। कहा कि तुलसी का पौधा घर में लग जाने मात्र से ही वह घर भगवान को समर्पित हो जाता है।

जौनपुर से आये पं. धर्मराज शास्त्री ने भरत चरित्र पर प्रकाश डाला। मंच का संचालन करते हुए आचार्य संतोष कुमार द्विवेदी ने बताया कि पूरे विश्व पटल पर सिर्फ भारत को माता की उपाधि मिली है। प्रवचन के बाद रात में 12 बजे के बाद हनुमान चालीसा का पाठ कर आरती उतारी गई। इस मौके पर महामंत्री सुशील पाठक, रतनलाल गर्ग, जेएस चतुर्वेदी, अयोध्या दुबे, विमलेश सिंह, मृत्युंजय जायसवाल, रामविलास सोनी, महेश दुबे आदि रहे।


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