सोनांचल की शिक्षा व्यवस्था डावांडोल, कई स्कूल प्रधानाचार्य विहीन
देश के 115 पिछड़े जनपदों में शामिल सोनभद्र में शिक्षा का स्तर क्या है यह किसी से छिपा नहीं है। यहां उच्च शिक्षा के नाम पर तो व्यवस्था बिल्कुल शून्य है ही माध्यमिक और इंटर कालेजों की भी शिक्षा व्यवस्था डावांडोल है।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : देश के 115 पिछड़े जनपदों में शामिल सोनभद्र में शिक्षा का स्तर क्या है यह किसी से छिपा नहीं है। यहां उच्च शिक्षा के नाम पर तो व्यवस्था बिल्कुल शून्य है ही, माध्यमिक और इंटर कालेजों की भी शिक्षा व्यवस्था डावांडोल है। इसके पीछे वजह केवल एक या दो नहीं, बल्कि कई हैं। कहीं शिक्षकों का अभाव है तो कहीं ढांचागत व्यवस्थाओं की कमी। आदिवासी बहुल इलाके में शिक्षा के प्रति जागरूकता का भी अभाव है। जरूरत है शिक्षा के बेहतरी के लिए ठोस कदम उठाने और मजबूत इच्छाशक्ति की। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को शिक्षा, सम्मान और सुरक्षा तीनों मिले, इसके लिए आज भी लोग उम्मीद ही लगा हैं।
यहां परिषदीय स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था का हाल तो हर कोई जानता है लेकिन माध्यमिक शिक्षा की भी व्यवस्था ठीक नहीं है। स्कूलों में न तो मानक के अनुसार शिक्षक हैं और न ही प्रधानाचार्य। व्यवस्थाओं की तो बात ही छोड़ दीजिए। करीब 20 लाख से अधिक की आबादी वाले इस जिले में बच्चों को सस्ती और अच्छी शिक्षा देने के लिए शासन ने 12 राजकीय इंटर कालेजों की स्थापना किया है। इसके अलावा पूर्व माध्यमिक विद्यालयों को उच्चीकृत करके 32 माध्यमिक विद्यालय बनाये गये हैं। जहां भवन तो आलीशान हैं लेकिन व्यवस्थाएं नाम मात्र की ही हैं। राजकीय इंटर कालेजों और माध्यमिक स्कूलों में जहां 75 फीसद से ज्यादा पद प्रधानाचार्यों के रिक्त हैं वहीं 80 फीसद पद प्रवक्ता और सहायक अध्यापक यानि एलटी ग्रेड के शिक्षकों के रिक्त हैं। ढांचागत व्यवस्थाएं भी खींचतान करके ही चल रही हैं।
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12 जीआइसी में महज एक प्रधानाचार्य
जिले के 12 राजकीय इंटर कालेजों में महज एक प्रधानाचार्य का पर भरा हुआ है। बाकि 11 पद रिक्त हैं। यानी यहां प्रभारी प्रधानाचार्य के रूप में या तो किसी प्रवक्ता को नियुक्त किया गया है या फिर एलटी ग्रेड के शिक्षक को ही प्रधानाचार्य पद की जिम्मेदारी दे दी गई है। इसी तरह 32 माध्यमिक स्कूलों में महज कुछ स्कूलों में ही प्रधानाचार्य के पद भरे हैं शेष रिक्त हैं।
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ज्यादातर पद रिक्त
जिले में प्रवक्ता ग्रेड के शिक्षकों का भारी अभाव है। राजकीय इंटर कालेजों व उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में 165 पद प्रवक्ता के सृजित किये गये हैं, लेकिन तैनाती महज 21 की है यानि 144 पद रिक्त हैं। जबकि राजकीय इंटर कालेजों में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या करीब दस हजार है। इस तरह से औसतन एक शिक्षक के जिम्मे सौ से ज्यादा बच्चों की जिम्मेदारी है। सहायक अध्यापकों के 405 पदों में से 68 भरे हैं और 307 खाली हैं। प्रधानाचार्य, उप प्रधानाचार्य के 49 पदों के सापेक्ष महज 14 की तैनाती है।