सततवाहिनी नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए उतरे लोग
जिले के अंतिम छोर झारखंड और यूपी के बार्डर पर बसे ¨वढमगंज में इन दिनों छठ पूजा की तैयारी जोरों पर है। क्षेत्र के प्रमुख छठ घाट सततवाहिनी नदी की सफाई को लेकर जब सरकार का अभियान फेल होता नजर आया तो गांव के लोग श्रमदान कर
जागरण संवाददाता, विंढमगंज (सोनभद्र): जिले के अंतिम छोर पर झारखंड और यूपी की सीमा पर बसे ¨वढमगंज में इन दिनों छठ पूजा की तैयारी जोरों पर है। क्षेत्र की प्रमुख छठ घाट सततवाहिनी नदी की सफाई को लेकर जब सरकार का अभियान फेल होता नजर आया तो गांव के लोग श्रमदान कर नदी के अस्तित्व को बचाने में जुट गए हैं।
उत्तर प्रदेश व झारखंड को विभाजित करने वाली सततवाहिनी नदी के अस्तित्व बचाने के लिए स्थानीय नौजवानों ने कमर कस लिया है। प्रतिदिन सुबह नौ बजे से दो घंटे तक सन क्लब सोसाइटी की टीम नदी की सफाई में जुटी है। लोगों के सामूहिक प्रयास से अभी तक 200 मीटर नदी की सफाई का कार्य हो चुका है। कार्य में लगे युवकों का दावा है कि एक माह के अंतराल में वे एक किमी तक नदी की सफाई करने के लिए संकल्पित हैं।
नदी के किनारे बसा है नगर
विण्ढमगंज नगर सततवाहिनी नदी के किनारे बसा हुआ है। नदी में अवैध खनन और प्रदूषण के कारण आज यह नदी अपनी पहचान ही खोती जा रही है। नदी में बालू ना होने के कारण पूरे नदी में घास, लड़ई (एक तरह का लम्बी घास) जमा हुआ है। नगर का कचरा और नाली का पानी इस नदी के अस्तित्व को ही समाप्त कर रहा है।
श्रमदान करने में हैं ये शामिल
श्रमदान से नदी के अस्तित्व को बचाने की मुहिम में राजकमल, आकाश ¨सह, राजाराम, पंकज गुप्ता, सुशांत मौर्य, डीसी गुप्ता, मोनू गुप्ता, मनीष गुप्ता, सीटू गुप्ता, उज्ज्वल मद्धेशिया, राजन, शुभम, अजय, रोशन गुप्ता, सुब्रत, राहुल, विक्की, दिनेश, दीपक, अभिषेक, राजेश, विनोद, विकास, सोनू, मनीष, शिवम, राजू आदि लोग शामिल हैं
हमेशा बना रहता है जल का प्रवाह
गर्मी, बरसात, ठंडा तीनों मौसम में हमेशा जल का प्रवाह बने रहने के कारण ही इस नदी को सततवाहिनी कहा जाता है। लोगों का मानना है कि यदि नदी की स्थिति सुधारने के लिए शीघ्र ही ठोस पहल नहीं की गई तो निश्चित ही नदी पूरी तरह सूख जाएगी।