पंच उत्सव आज से, सोनांचल में चकाचौंध
दीपावली अपने आप में कई पर्वों का समुच्चय है। इसका केंद्रीय पर्व दीपावली है। कार्तिक की अमस्या को यह पर्व मनाया जाता है। इस पर्व की शुरूआत दो दिन पहले धन त्रयोदशी यानी धनतेरस के दिन ही हो जाती है। धनतेरस से लेकर भैयादूज के दिन तक होने वाले इस पंच उत्सव को लेकर सोनांचल में तैयारी पूरी कर ली गई है। शुरूआत पर धरतेरस के दिन ही दीपावली मनाने के लिए बाजार पूरी तरह से तैयार है। जगह-जगह घरों को आकर्षक तरीके से सजाया गया है। जगह-जगह दीपों से शहर और गांव जगमग होगा।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : दीपावली कई पर्वों का समूह है, जिसे कार्तिक अमावस्या के दिन विश्वभर में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत दो दिन पहले धनतेरस से होती है और भैयादूज तक जारी रहती है। इस पांच दिवसीय यानी पंच उत्सव को लेकर सोनांचल में तैयारी पूरी है। सोनांचल के बाजार पूरी तरह से सज गए हैं। ज्योतिषाचार्य डा. शिव कुमार शास्त्री बताते हैं कि इस बार 25 अक्टूबर से लेकर 29 अक्टूबर तक उत्सव मनाया जाएगा। हर दिन का अपना महत्व है। पंच उत्सव सुहागिनों के लिए काफी लाभप्रद है। दीपावली के एक दिन बाद सोमवती अमावस्या है। इस दिन सुहाग के लिए महिलाएं पीपल वृक्ष का पूजन करती हैं। धनतेरस पर शाम को खरीदारी का शुभ मुहूर्त
इस बार 25 अक्टूबर को त्रयोदशी की तिथि है। आरोग्य के देवता धनवंतरी की जयंती भी है। भगवान कुबेर का पूजन करने के साथ ही बर्तन, आभूषण आदि नई वस्तुओं की खरीदारी की जाती है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि शाम इस बार शाम 4:31 बजे से शुभ मुहूर्त है। खरीदारी का यह सबसे बढि़या समय है। इस दिन धनन्वंतरी की पूजा की जाती है। राबर्ट्सगंज के मेन चौक के समीप स्थित एक दुकान पर पूजा होगी। कल यम का दीपक, मनेगी हनुमान जयंती
26 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी है। इसे रूप चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है तथा यम के लिए प्रत्येक घर से दीपदान किया जाता है। इस दिन महिलाएं घर से दीप निकालकर बाहर जलाती हैं। जिले के विभिन्न मंदिरों में हनुमानजी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। पूजा करें तो मान जाएंगी लक्ष्मी
दीपावली 27 अक्टूबर यानी रविवार को है। महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। सूर्य ओज, तेज, कांति व विकास का कारक ग्रह है। इसलिए रविवार को दीपावली का पर्व शुभ फलदायी होगा। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस बार पूजन के लिए तीन सही समय मिल रहा है। वैसे तो अमावस्या के दिन हमेशा पूजन किया जा सकता है। दोपहर में 1 बजकर 44 मिनट से लेकर तीन बजकर 15 मिनट तक, शाम 6 बजकर 21 मिनट से 8 बजकर 18 मिनट तक पूजन का सर्वोत्तम समय है। महानिशा काल में रात 12 बजकर 50 मिनट से तीन बजकर 04 मिनट तक शुभ मुहूर्त है। अन्नकूट 28 को भैया दूज 29 को
दीपावली के एक दिन पहले से शुरू होने वाला दीपोत्सव के अंतिम दिन भैया दूज और उसके एक दिन पहले अन्नकूट मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस बार 28 को सोमवती अमावस्या के साथ-साथ उसी दिन अन्नकूट और गोवर्धन पूजा है। 29 अक्टूबर को भैया दूज के दिन भाई अपने बहन के घर जाकर भोजन करता है और बहन को दक्षिणा देता है। इसी दिन भगवान चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है।