पीने को पानी नहीं, ठाट से नहला रहे पशुओं को
अनपरा(सोनभद्र): पशुपालकों द्वारा पशुओं को समर्सेबुल चलाकर ठाट से नहलाते देख प्रसिद्ध कवि की कविता
अनपरा(सोनभद्र): पशुपालकों द्वारा पशुओं को समर्सेबुल चलाकर ठाट से नहलाते देख प्रसिद्ध कवि की कविता एक व्यक्ति का बच्चा भूख से बिलबिला रहा है और एक व्यक्ति अपने कुत्ते को दूध पिला रहा है की याद बरबस ताजा हो जा रही है।
परिक्षेत्र में अधिकांश हैंडपंपों व कुओं के सूख जाने से जहां पेयजल की घोर किल्लत उत्पन्न हो गई है, वहीं दूसरी ओर कतिपय पशुपालक अपने पशुओं को समर्सेबुल लगाकर आराम से नहला रहे हैं। जिनके घर पर पानी की व्यवस्था नहीं है वे पशुओं को नहलाते देख हैरत से अंगुली दबा रहे हैं। लोगों का कहना है कि समरथ को नहीं दोष गोसाईं की उक्ति प्रत्येक जगह चरितार्थ हो रही है। एक तरफ जहां लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं वहीं घंटों पशुओं को स्नान कराते हुए पशुपालक तमाम ¨चताओं से मुक्त नजर आ रहे हैं। उन्हें लगता है कि भगवान ने उनकी बो¨रग में कभी न खत्म होने वाला पानी का स्त्रोत दे दिया है। शायद उन्हें नहीं मालूम कि जिस पानी का वे अनावश्यक उपयोग कर रहे हैं। एक दिन वही पानी का स्त्रोत समाप्त हो जायेगा तथा उनके समक्ष भी पेयजल की किल्लत उत्पन्न होगी।