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लखनऊ में आंदोलन दुद्धी में अभूतपूर्व बंदी

दुद्धी (सोनभद्र): दुद्धी को जिला बनवाने के लिए लखनऊ में चल रहे महापंचायत के समर्थन में सोमवार को कस्

By Edited By: Published: Mon, 23 May 2016 06:56 PM (IST)Updated: Mon, 23 May 2016 06:56 PM (IST)

दुद्धी (सोनभद्र): दुद्धी को जिला बनवाने के लिए लखनऊ में चल रहे महापंचायत के समर्थन में सोमवार को कस्बे में अभूतपूर्व बंदी देखने को मिली। एक ओर सूबे की राजधानी में सैकड़ों आंदोलनकारी जीपीओ पार्क पर धरना-प्रदर्शन के जरिए अपनी बात शासन तक पहुंचाने में लगे थे, वहीं दूसरी ओर दुद्धी के छोटे-बड़े सभी व्यवसायियों ने अपने प्रतिष्ठानों को बंद कर उनकी हौसला आफजाई की। साथ ही आंदोलन का समर्थन किया।

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आंदोलन के समर्थन में सोमवार को दुद्धी बंद का ऐलान करते हुए व्यापार मंडल के अध्यक्ष अछैयवर नाथ गुप्ता, महामंत्री सुरेंद्र गुप्ता व उपाध्यक्ष कन्हैया लाल अग्रहरि अन्य पदाधिकारियों व सदस्यों के साथ रविवार की देर रात तक एक एक व्यवसायियों से जन संपर्क कर आंदोलन को शत-प्रतिशत सफल बनाने की अपील की थी। उसका व्यापक प्रभाव सोमवार को सुबह से ही देखने को मिला। चाय, पान, सब्जी, सरीखे छोटे व्यवसायियों ने अपनी दुकानों का ताला भी नहीं खोला। यह नजारा देख बड़े व्यवसायी खुद ब खुद अपने प्रतिष्ठानों को बंद कर आंदोलनकारियों के अभियान में जुट गए। यहां तक की आवश्यक सेवा में शुमार मेडिकल स्टोर भी बंद रहे। हालांकि बाद में मरीजों की परेशानियों को देखते हुए प्रबुद्ध वर्ग के लोगों ने आवश्यक सेवा से जुड़े सभी मेडिकल स्टोरों को खोलने की छूट दे दी।

शाम पांच बजे के बाद छिटपुट खुली दुकानें

दुद्धी में सोमवार को शांति पूर्ण ढंग से हुई एतिहासिक बंदी की चहुंओर सराहना हुई। सरकारी गैर सरकारी संस्थाओ से जुड़े लोगों का कहना था कि इस तरह की बंदी लोग दहशत में करते हैं। किंतु यहां तो ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला जिससे लोग खौफजदा होकर अपने दुकानों को बंद किए हो। इससे यह स्पष्ट हो गया लोग स्वयं अपने आप को इस आंदोलन से जोड़ते हुए आंदोलनकारी के समर्थन में आगे आए। जो वाकई सराहनीय रहा।

जुलूस व नुक्कड़ सभा का दिनभर चलता रहा दौर

दुद्धी बंद के दौरान सोमवार को व्यापार मंडल के पदाधिकारियों के साथ भाजपा जिला महामंत्री सुरेंद्र अग्रहरि, कमलेश ¨सह कमल, जिला योजना समिति के सदस्य राजकुमार अग्रहरि, अमरनाथ जायसवाल, छात्र संघ अध्यक्ष अभिनव कुमार बिट्टू, दुद्धी व सिविल बार एसोसिएशन के तमाम अधिवक्ताओ के साथ ही मुस्लिम संगठन के राजा बाबू, फतेह मोहम्मद खान, स्वर्णकार संघ समेत अन्य कई संगठनों के लोगों ने सुबह काली मोड़ से निकले जुलूस में शामिल होकर दुद्धी को जिला बनाने के समर्थन में नारेबाजी करते नजर आए। तहसील मोड़, मुख्य चौक समेत कई स्थानों पर नुक्कड़ सभा कर आंदोलनकारियों ने अपनी भड़ास निकाली।

तहसीलदार को दिया ज्ञापन

शाम करीब पांच बजे संकट मोचन मंदिर पर घंटों चले सभा के माध्यम से दर्जन भर वक्ताओं ने जिला मुद्दे पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालते हुए शासन को चेताया कि यह तो आंदोलन का मात्र टेलर है। सरकार शीघ्र दुद्धी को जिला घोषित नहीं किया तो वे अनिश्चित काल के लिए हाथीनाला तिराहे पर वाराणसी शक्तिनगर व रीवां रांची राजमार्ग की रफ्तनी जाम करने को विवश होंगे जिसकी समस्त जबावदेही उत्तर प्रदेश सरकार की होगी। इसके बाद सभा स्थल पर शासन का प्रतिनिधि बन कर पहुंचे तहसीलदार जितेंद्र कुमार को अपने मांग के समर्थन में मुख्यमंत्री के नाम घोषित एक ज्ञापन सौपा।

यात्रियों की तकलीफ समझ सड़क जाम से किया परहेज

आम तौर पर देखा जाता है कि लोग किसी भी आंदोलन का आगाज सड़क जाम करके करते हैं। किन्तु दुद्धी में आंदोलन के समर्थन में उमड़े लोगों में से कुछ ने अभूतपूर्व बंदी की सफलता को देखते हुए सड़क जाम का प्रस्ताव किया। किंतु आंदोलन की अगुवाई करने वाले लोगों ने इस प्रस्ताव को यह कहकर ़खारिज कर दिया कि हाइवे जाम करने से इस चिलचिलाती धूप में यात्रियों विशेषकर महिलाओं व बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इस अहम समस्या को देखते हुए आंदोलनकारियों ने हाइवे की रफ्तनी को नहीं रोका। उनके इस कदम की जानकारी होने पर प्रशासनिक अधिकारियों ने भी राहत महसूस करते हुए शांतिपूर्ण आंदोलन में किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नही किया।

आंदोलन को उग्र रूप देने के गरम दल की मंशा पर फिरा पानी

दुद्धी बंद के दौरान आंदोलन के गरम दल के लोगों ने हर मोड़ पर आंदोलन को उग्र करने की रणनीति बनाई, किंतु उनके हर मंशा को शांतिपूर्ण आंदोलन के हिमायतियों ने विफल कर दिया। मंसूबा में विफल होने वाले आंदोलनकारियों का कहना था कि इस तरह से सरकार उनकी कोई भी मांग पर ध्यान नही देगी। सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए आंदोलन को उग्र रूप देना होगा। किंतु आंदोलनकारियों ने उन्हें समझा बुझाकर शांत कराते हुए कहा कि यह कत्तई आवश्यक नहीं है कि सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए सरकारी व निजी संपत्तियों की क्षति की जाए। सरकार तक अपनी बात पहुंचने के लिए वे हर संभव प्रयास कर रहे है। निश्चित तौर पर इसमें सफलता हासिल होगी।


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