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लूसा व ¨सगरौली बनेगा जंक्शन

सोनभद्र: लूसा-¨सगरौली वाया घोरावल रेलवे लाइन बिछाने का कार्य धीमी गति से चल रहा है। सर्वे का प्रथम च

By Edited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 10:28 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 10:28 PM (IST)

सोनभद्र: लूसा-¨सगरौली वाया घोरावल रेलवे लाइन बिछाने का कार्य धीमी गति से चल रहा है। सर्वे का प्रथम चरण पूरा होने के बाद यह तय हो गया है कि लूसा व ¨सगरौली जंक्शन बनेगा। करीब 85 किलोमीटर लंबे रेलवे लाइन में लूसा व ¨सगरौली समेत सात स्टेशन व हाल्ट होंगे। यह जानकारी घोरावल विधायक रमेश चंद्र दुबे ने गुरुवार को प्रेसवार्ता के दौरान दी है।

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घोरावल विधायक श्री दुबे का दावा है कि वर्ष 2012 से लगातार प्रयास करते आ रहे हैं कि घोरावल को भी रेलवे लाइन से जोड़ा जाए। केंद्र में जब कांग्रेस की सरकार थी तभी विधायक के पहल पर इसकी नींव पड़ गई थी लेकिन लूसा-¨सगरौली वाया घोरावल रेलवे लाइन नौ जुलाई 2014 को वर्तमान केंद्र की सरकार ने बजट में शामिल कर लिया और सर्वे का कार्य शुरू हुआ। विधायक ने कहा कि प्रथम चरण का सर्वे कार्य पूरा होने के बाद यह तय हुआ है कि लूसा के बाद घोरावल में स्टेशन बने। शिवद्वार के समीप मझिगवां, उसके बाद भरहरी, कतरिहार व छतरी गांव में रेलवे स्टेशन का निर्माण किया जाएगा। इस रेलवे लाइन में चार माइनर ब्रिज, छह मेजर ब्रिज व सोन नद पर एक ब्रिज बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि सर्वे के बाद कई माह से यह काम ठप है, जो ¨चता का कारण है। जनहित के इस मामले में केंद्र सरकार के कोई भी प्रतिनिधि चुप्पी नहीं तोड़ रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि इस रेल लाइन के बनने के बाद बंगाल, उड़ीसा, मुंबई, पूना आने-जाने वाले यात्रियों व माल भाड़ा से जनता को काफी सहूलियत होगी। दिल्ली-हावड़ा मेन लाइन पर ट्रेनों का दबाव भी काफी कम होगा। विधायक ने प्रधानमंत्री व रेल मंत्री को पत्र भेजकर इस रेलवे लाइन के कार्य को गति देने की मांग की है।

कोयला के आठ खदानों से होगी आपूर्ति

विधायक श्री दुबे ने बताया कि जिला व उससे लगे मध्यप्रदेश में तमाम परियोजनाएं हैं। इन परियोजनाओं को कच्चे माल की आपूर्ति आस्ट्रेलिया, मलेशिया, चीन से बिहार के रास्ते आपूर्ति होती है। सोनभद्र व ¨सगरौली क्षेत्र देश का सबसे बड़ा विद्युत उत्पादन का केंद्र हैं। कोल इंडिया की सबसे लाभप्रद इकाई नार्दन कोल पिल्ड लिमिटेड की आठ खदानें इसी क्षेत्र में स्थित है। रेल लाइन बिछने के बाद कोयला जैसे सामानों की ढुलाई से सरकार को अच्छा राजस्व प्राप्त होगा।


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