खंडहर में तब्दील लालबहादुर नगर रेलवे स्टेशन
सोनभद्र : वक्त की मार कहें या फिर पूर्वजों की निशानी के साथ खिलवाड़, जिसे हमारी सरकार सहेज भी नहीं सक
सोनभद्र : वक्त की मार कहें या फिर पूर्वजों की निशानी के साथ खिलवाड़, जिसे हमारी सरकार सहेज भी नहीं सकी। शायद आधे से अधिक जिले के लोगों को यह बात मालूम भी न हो कि राबर्ट्सगंज व खैराही रेलवे स्टेशन के बीच कभी लाल बहादुर नगर नामक रेलवे स्टेशन भी हुआ करता था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लाल बहादुर के नाम पर राबर्ट्सगंज ब्लॉक के हिंदुआरी के पास बने रेलवे स्टेशन को फिर से चालू करने का मांग तेज हो गई है।
वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग के समीप हिंदुआरी रेलवे क्रासिंग से राबर्ट्सगंज रेलवे स्टेशन की तरफ करीब सौ मीटर पहले लाल बहादुर नगर नाम से रेलवे स्टेशन की स्थापना 30 वर्ष पहले की गई थी। राबर्ट्सगंज ब्लाक के रतवल गांव के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लाल बहादुर के नाम से रेलवे स्टेशन की स्थापना की गई लेकिन विवाद ने रेलवे स्टेशन के अस्तित्व पर ही ऐसा हमला किया कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का लोग नाम ही भूल गए।
बता दें कि तीस वर्ष पहले जब स्टेशन चालू हुआ तो ट्रेनों का ठहराव भी हो रहा था लेकिन वर्चस्व की जंग में यह स्टेशन सिर्फ बंद ही नहीं हुआ, खड्हर में भी तब्दील हो गया है और आसपास के लोग उक्त भवन में अपनी भैंस बांधने लगे।
पूर्व विधायक रामनाथ पाठक ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लाल बहादुर के नाम से स्थापित स्टेशन का विरोध किया और नतीजा ठीक नहीं निकला। विवाद से घिरे इस स्टेशन को बंद कर पसही लाने की कोशिश की गई। दो पक्षों में छिड़ी जंग के कारण अब न तो हिंदुआरी ही रेलवे स्टेशन रहा और न ही पसही।
ग्रामीणों को होता है फायदा
यदि हिंदुआरी रेलवे स्टेशन चालू होता तो राबर्ट्सगंज ब्लाक के न्याय पंचायत मधुपुर के सुकृत, लोहरा, बट, तकिया, मझुई, मुबारक, कुतुलुपुर, बंतरा, नागनार हरैया, आमडीह, कम्हरिया, मधुपुर व परही के ग्रामीणों को फायदा होता।
जनप्रतिनिधि करें पहल तो मिले कामयाबी
समाजसेवी राजकुमार यादव ने कहा कि यदि हिंदुआरी रेलवे स्टेशन को पुन: चालू किया गया तो दो दर्जन गांवों को सीधे आने जाने के लिए सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। उन्होंने इस ओर पहल करने की मांग जनप्रतिनिधियों से की है।