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सरकारी मानक-गगन पर भी खरे नहीं उतरे बादल!

By Edited By: Published: Fri, 25 Jul 2014 07:08 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jul 2014 07:08 PM (IST)

सोनभद्र : लगातार लटकते दिखते चल रहे होने के बावजूद बरसने से कतराते फिर रहे बादल सरकारी मानक के गगन पर भी अब तक खरे नहीं उतरे हैं। चकरा गए न आप? बात बेशक चकराहट पैदा कर देने वाली है लेकिन यह वास्तविकता है कि निर्धारित मानक के परिप्रेक्ष्य में वर्षा अब तक अपेक्षा से बहुत ही कम हो सकी है।

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विभागीय आंकड़ों पर नजर डालें तो इसके मुताबिक भी जनपद में सूखा पड़ चुका है। ऐसे में यह समझना कठिन हो रहा कि हालात क्रमश: चिंताजनक दर्ज होते चलने के बावजूद जनपद को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने में शासन स्तर से देर क्यों की जा रही है!

तय मानक के मुताबिक जून में 104.50 एमएम बारिश होनी चाहिए लेकिन इस वर्ष उक्त महीने में महज 54.79 एमएम ही वर्षा हुई है। जुलाई में तो हालत और भी खराब है। सरकारी मानक के मुताबिक जुलाई में बारिश की सामान्य अपेक्षा 334 है, लेकिन 24 तारीख तक यह महज 85.44 एमएम ही हुई है।

नहरों व नलकूपों से महज 21 प्रतिशत ही सिंचाई

जनपद में नहरों का जाल जो बिछाया गया है वह कितना पर्याप्त है, इसका अदंाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुाद सरकारी आंकड़े इनके बूते पूरे जिले में महज 21 प्रतिशत भू-भाग की ही सिंचाई का तथ्य स्वीकार कर रहे हैं। जाहिर है कि इसके अलावा शेष 79 प्रतिशत भूभाग का भाग्य बारिश पर ही निर्भर है।

2010-11 में जनपद में पड़ा था सूखा

वर्ष 2010-11 में भी जनपद सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित किया गया था। मौजूदा हालात से एक बार फिर सूखे की भयावह दस्तक सुनाई दे रही है। किसान मनोहर, रामलाल, दिनेश, बब्बन, जोखू ने कहा कि बारिश पर तो किसी का बस नहीं है लेकिन सरकारी सहायता तो अधिकारियों के अधिकार-क्षेत्र में है, लेकिन वह भी दूर की कौड़ी हो जाती है। चार वर्ष के अंदर दो बार सूखे की मार झेलने से किसान पूरी तरह टूट चुके हैं।

24 जुलाई तक 85.44 एमएम बारिश

जिला प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक जून 2011 में 232.85 एमएम, वर्ष 2012 में 59.93, वर्ष 2013 में 144.20, वर्ष 2014 में 54.79 एमएम बारिश दर्ज हुई है।

जुलाई 2011 में 176.23 एमएम, वर्ष 2012 में 381.85, वर्ष 2013 में 307.23 एमएम बारिश हुई वहीं वर्ष 2014 में 24 जुलाई तक जनपद में महज 85.44 प्रतिशत बारिश दर्ज की गई है। इन आंकड़ों से भी बारिश कम होने की पुष्टि हो जा रही है।


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