ऊर्जाचल के 11 हजार परिवार बन जाएंगे शहरी
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : अनपरा को नगर पंचायत बनाये जाने से ऊर्जाचल परिक्षेत्र के करीब 11,000 परिवार गंवई से शहरी हो जाएंगे।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : अनपरा को नगर पंचायत बनाये जाने से ऊर्जाचल परिक्षेत्र के करीब 11,000 परिवार गंवई से शहरी हो जाएंगे। इनके घरों के आस-पास व्यवस्थित नाली हो जाएगी और चकाचक सड़कें भी होंगी। पथ प्रकाश की व्यवस्था से लेकर अन्य सुविधाएं भी चकाचक हो जाएंगी। इन परिवारों में करीब पचास हजार से अधिक लोग नये नगर पंचायत के क्षेत्र में आएंगे।
शासनस्तर से अनपरा को नगर पंचायत बनाने की जारी अधिसूचना में अनपरा से सटे कुल आठ गांवों को शामिल किए जाने का उल्लेख किया गया है। इसमें अनपरा में गाटा संख्या एक से 714 तक, औड़ी में एक से 2273 तक, गरबंधा में एक से 114 तक, परतलिया में एक से चार तक, नकटी में एक से 69 तक, परासी में एक से 3607 तक, रेहटा में एक से 700 तक, ककरी में एक से 1312 तक गाटा संख्या को नगर पंचायत क्षेत्र में शामिल किया गया है। स्वीकृत नगर पंचायत की चारों दिशाओं में सीमाओं का भी निर्धारण किया गया है। जिसमें पूरब सीमा की ओर कुलडोमरी व रिहंद डैम तक को नगर पंचायत की सीमा मानी जाएगी। इसी तरह दक्षिण सीमा में बासी गांव व रिहंद डैम (गो¨वद वल्लभ पंत सागर), पश्चिम में मध्य प्रदेश व उत्तर में रणहोर गांव व कुलडोमरी गांव की सीमा तक नगर पंचायत की सीमा होगी।
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इस गांव में इतने परिवार व आबादी
गांव परिवार की संख्या जनसंख्या
रेहटा 586 3778
ककरी 1043 5221
अनपरा 3758 17978
औड़ी 1215 7005
गरबंधा 508 2734
परासी 4817 23966 -------------------------
..तो बदल जाएगी ऊर्जाचल की तस्वीर
ब्लर्ब..पावर कैपिटल में बुनियादी सुविधाओं की बदहाल स्थिति पर किसी को नहीं होता विश्वास
सोनभद्र: आखिरकार लोगों की मुराद पूरी हुई। शासन की अधिसूचना के बाद जिला प्रशासन द्वारा अनपरा को नगर पंचायत बनाने की दिशा में कवायद शुरू होगी। इसके तहत एक पखवारे के अंतराल में लोगों से आपत्ति व सुझाव मांगें गये हैं। नगर पंचायत बनने से संपूर्ण विश्व में विद्युत परियोजनाओं के लिए मशहूर अनपरा परिक्षेत्र के परि²श्य में क्या बदलाव आएंगे। इसे लेकर चर्चा-परिचर्चा का दौर तेज हो गया है।
बिजली घरों की बहुलता के कारण देश का पावर कैपिटल कहे जाने वाले अनपरा में बाहर से आने वाले नागरिक यहां की बदहाल सड़कें, दिन ढलते ही सड़कों पर छाया अंधेरा, भीषण स्वास्थ्य समस्या, बेपटरी शिक्षा व्यवस्था को देख विस्मय से भर उठते हैं। नोएडा व गुड़गांव जैसी व्यवस्था की उनकी कल्पनाएं तत्काल बिखर जाती थीं। क्षेत्र में न तो साफ-सफाई की मुकम्मल व्यवस्था है और न ही जल निकासी व पेयजल की व्यवस्था। इसका प्रमुख कारण क्षेत्र का नगर पंचायत न होना बताया जाता है। लोगों का मानना है कि बेशक नगर पंचायत बनने से क्षेत्र में मौलिक बदलाव देखने को मिलेंगे। साफ-सफाई जहां सुचारू होने लगेगी वहीं जल निकासी व पेयजल व्यवस्था भी दुरुस्त हो जायेगा। नगर पंचायत का अपना बजट होने के कारण निश्चित ही व्यवस्थाओं में सुधार आएंगी।