सो रहा श्रम विभाग करते रहिए शोषण!
सीतापुर, अगर आप श्रम कानून का उल्लंघन कर श्रमिकों का शोषण कर रहे हैं तो डरने की बात नहीं है, शोषण करते रहिए! क्योंकि श्रम विभाग सुस्त है। उसे मजदूरों की फिक्र नहीं है। इसका एक उदाहरण ही काफी है। विभाग ने पांच साल में महज पांच ईंट भट्ठों का निरीक्षण किया है। उसमें भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि जिले में करीब ढाई सौ ईंट भट्ठा हैं। इस तथ्य से महकमे की सुस्ती का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
आरटीआइ के तहत मांगी गई सूचना पर बड़ी मुश्किल से श्रम प्रवर्तन कार्यालय से कुछ सूचनाएं दी गई हैं। जबकि कई गंभीर सवालों का जवाब बड़े सलीके से टाल दिया गया। श्रम प्रवर्तन कार्यालय से पूछा गया था कि जिले में तहसीलवार कितने ईंट भट्ठे हैं और उनका नाम पता? इसके जवाब में श्रम प्रवर्तन अधिकारी आरवी लाल ने जवाब दिया कि ये सूचना जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी से प्राप्त की जा सकती है। आसान सा जवाब देकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि उनके पास न ईंट भट्ठों की सूची है और न वहां काम करने वाले मजदूरों से कोई वास्ता।
दूसरा सवाल: ईंट भट्ठों पर मजदूरों की संख्या वर्षवार क्या है? इसकी भी सूचना न देकर अपर मुख्य अधिकारी से संबंधित होना बताकर टाल दिया। तीसरा सवाल: ईंट भट्ठों पर कार्यरत ठेकेदारों व उनके अधीन कार्य करने वाले मजदूरों की संख्या कितनी है? इसकी सूचना भी नहीं दी, कहा कि उप श्रम आयुक्त लखनऊ से संबंधित है।
चौथा सवाल: भट्ठों पर कौन श्रम कानून लागू हैं? श्रम प्रवर्तन अधिकारी ने इसे भी टाल दिया और लिखित रूप से अवगत कराया कि श्रम अधिनियम सार्वजनिक है, जिसका अध्ययन कर लें..।
पांचवां सवाल: भट्ठों पर 2005 से 2010 तक किन श्रम प्रवर्तन अधिकारियों ने कितने भट्ठों का निरीक्षण किया? इस संदर्भ में बताया कि जीतेंद्र कुमार श्रीवास्तव, रतन कुमार गुप्ता, देवी दयाल, सत्येंद्र पाल, आरवी लाल, पीके दीक्षित, बुद्धसेन मौर्य, विवेक कुमार त्रिवेदी व मूल चंद आदि 2003 से लेकर 2010 तक अलग-अलग कार्यकाल में तैनात रहे। कुल मिलाकर सात-आठ अधिकारी तहसीलवार ड्यूटी निभाते रहे। लेकिन इनमें से महज तीन अधिकारियों ने कुल पांच भट्ठों का ही निरीक्षण किया। इसमें से दो ने तो एक-एक ही निरीक्षण किया। इसमें से रामपुर कला क्षेत्र के बाबा ब्रिक फील्ड भी शामिल है जहां 36 श्रमिकों को बंधक बनाकर मजदूरी मालिक प्रेम विजय सिंह यादव द्वारा कराई जा रही थी। यहां बाल श्रम प्रतिशोध अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई थी।
आरटीआइ कार्यकर्ता ओम प्रकाश पांडेय कहते हैं कि एक भट्ठे पर पचास से दो सौ मजदूर काम करते हैं। श्रम कानून के अनुसार प्रति चार मजदूर पर एक ठेकेदार होता है। लेकिन ईंट भट्ठों का मसला बिल्कुल उलटा है। श्रम प्रवर्तन कार्यालय की मानें तो भट्ठा मालिकों ने श्रमकों की सूचना नहीं दी है। जबकि श्रम विभाग ने निरीक्षण नहीं किया। इससे जाहिर होता है कि दोनों पक्षों में कोई समझौता है, जिसका खामियाजा मजदूर भुगत रहे हैं।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर