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कुश्ती व योग को बनाया जीवन का ध्येय

सीतापुर : अपने दांव-पेच से कुश्ती के ¨कग रहे मास्टर चंदगीराम को सम्मोहित करने वाले पहलवान मूलचंद आज

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 May 2017 10:21 PM (IST)Updated: Fri, 26 May 2017 10:21 PM (IST)
कुश्ती व योग को बनाया जीवन का ध्येय

सीतापुर : अपने दांव-पेच से कुश्ती के ¨कग रहे मास्टर चंदगीराम को सम्मोहित करने वाले पहलवान मूलचंद आज भले ही 60 की उम्र पार कर चुके हैं लेकिन, कुश्ती के प्रति उनकी दीवानगी अभी कम नहीं हुई है। महज आठ साल की उम्र से ही पहलवानी करने वाले गुरुजी के नाम से मशहूर पहलवान मूलचंद ने कुश्ती और योग की शिक्षा देने को अपने जीवन का ध्येय बना रखा है। ग्रामीण कुश्ती से आहत वह आज भी आधा सैकड़ा शिष्यों को कुश्ती और योग की शिक्षा दे रहे हैं।

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अपने दादा बहादुर से कुश्ती के प्रेरणा लेने वाले मूलचंद प्राथमिक शिक्षा के दौरान अपने ताऊ गणेश प्रसाद की बात पर अपने आठ साल के हमउम्र बालक को तीन बार परास्त किया। इसके बाद शुरू हुआ कुश्ती का सिलसिला अनवरत जारी है। वर्ष 1985-86 में उन्होंने महोली कस्बे के पास बाबा टेकेश्वर नाथ धाम मंदिर के करीब अखाड़े का निर्माण कराया। यहां कस्बा समेत दूर दराज के विभिन्न गावों के सैकड़ों लोगों को कुश्ती व योग की शिक्षा दी है। इन दिनों चड़रा से राम नगर जाने वाली रोड पर स्थित एक ही स्कूल में दो दर्जन युवाओं को गर्भासन, हलासन, पश्चिमोत्तासन, वृश्चिक आसन तथा वृक्षासन आदि की शिक्षा दे रहे हैं।

मास्टर चंदगी राम की मौजूदगी में दी पटखनी

पहलवान मूलचंद बताते हैं कि करीब 18-19 साल की उम्र में बिसवां में होने वाले दंगल में कुश्ती के ¨कग मास्टर चंदगी राम भी शामिल होने आए थे। उनकी मौजूदगी में कुश्ती लड़ना गर्व की बात थी। उन्होंने बताया उनकी मौजूदगी में वह तीन मुकाबले जीते। उन्होंने बताया कि देवा शरीफ के अखाड़े में भी कुश्ती लड़ी है।

शिष्यों ने पाया जिले में पहला स्थान

पहलवान मूलचंद के शिष्य पाल्हापुर निवासी अशोक कुमार, अंगरौरा निवासी अभय प्रताप ¨सह व रमुवापुर निवासी कुलदीप तिवारी ने 31 जनवरी 2016 में मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में हुई कुश्ती प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त किया। लखीमपुर जिले के गांव सेमरायां निवासी लुकमान ने जिले के साथ-साथ बरेली जनपद में हुई कुश्ती की एक बड़ी प्रतियोगिता में भी अपना लोहा मनवाया था। यही नहीं उनके शिष्य रामनगर के राममूर्ति और सोनेलाल कृषक इंटर कॉलेज मैं कुश्ती टीम के कैप्टन बने।

राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने की इच्छा

अपनी उम्र और अधिक वजनी पहलवान से दो-दो हाथ करने को उतावले मूलचंद गंवई स्तर पर कुश्ती की उपेक्षा से आहत हैं। उनका कहना है कि वह आर्थिक तंगी के कारण भले ही आगे तक नहीं पहुंच सके, लेकिन वह गांव के अखाड़ों के पहलवानों को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाना चाहते हैं।


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