सूबे में बढ़े, जिले में घटे सारस
सीतापुर : मोहब्बत की नजीर बने सारस की तादाद सूबे में तो बढ़ी है, लेकिन सीतापुर में इनकी संख्या में ग
सीतापुर : मोहब्बत की नजीर बने सारस की तादाद सूबे में तो बढ़ी है, लेकिन सीतापुर में इनकी संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। राज्य पक्षी का दर्जा पा चुके सारस की गणना प्रत्येक छह माह पर की जाती है। आंकड़े गवाह हैं कि बीते पांच सालों में प्रदेश भर में 3965 सारस बढ़े हैं, लेकिन राजधानी से सटे इस जनपद में इस अवधि में 47 सारस कम हुए हैं। हालांकि प्रत्येक छह पर हुई विभागीय गणना के दौरान सारस की तादाद में कमी और बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।
हवा में उड़ने वाले सबसे विशाल पक्षियों में सारस को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। विश्व के किसी भी राष्ट्र की तुलना में भारत में इनकी संख्या सर्वाधिक पाई जाती है। ¨चताजनक यह है कि सीतापुर जिले में इनकी संख्या घटती-बढ़ती रही है। साल 2012 में महकमे ने सारस की गणना में जिले में 337 पाई गई तो सूबे में 11275 मिली। जून 2013 में जिले में इनकी संख्या घटकर 212 रही तो प्रदेश में बढ़कर 11663 हो गई। दिसंबर 2013 में जिले में सारस की तादाद 257 और सूबे में 11977 दर्ज की गई। जून 2014 में हुई गणना में सीतापुर में 279 सारस मिले तो प्रदेश में 12362 हो गई। दिसंबर 2014 में जिले में 305 सारस मिले तो प्रदेश भर में 12566 देखे गए। जून 2015 में जिले में सारस घटकर 254 हो गए तो प्रदेश में इनकी तादाद बढ़कर 13332 हो गई। दिसंबर 15 में हुई गणना में जिले में सारस बढ़े और इनकी तादाद 310 आंकी गई, हालांकि प्रदेश भर में सारस की संख्या बढ़कर 13670 हो गई। जून 2016 में जिले में फिर सारस की संख्या घटकर 246 पहुंच गई जबकि सूबे में संख्या 14389 पर पहुंच गया। दिसंबर 2016 में जिले में 290 सारस पाए गए और सूबे में इनकी बढ़ोत्तरी का सिलसिला जारी रहते हुए 15240 तक पहुंच गया।