..यहां तो पूरी दाल ही काली है
सीतापुर : दाल में काला नहीं बल्कि यहां तो पूरी दाल ही काली है। कहने को तो यह जुमला है, मगर पिसावां ब
सीतापुर : दाल में काला नहीं बल्कि यहां तो पूरी दाल ही काली है। कहने को तो यह जुमला है, मगर पिसावां ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय बराहमऊ कलां पर यह सच साबित हो रहा है। इस विद्यालय का निर्माण वित्तीय वर्ष 2003-04 में हुआ था, लेकिन एक साल पहले बीम, दीवारें व छत दरक चुकी हैं। भवन ढहने के डर से प्रधानाध्यापक ने इसे निष्प्रयोज्य मानते हुए प्राथमिक विद्यालय के अतिरिक्त कक्षा-कक्ष में बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं। सह समन्वयक के निरीक्षण के दौरान छात्रों व शिक्षकों ने बताया कि यह कभी भी गिर सकता है, इसका जिक्र जांच आख्या में किया जा चुका है।
पिसावां ब्लॉक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय बराहऊ कलां का भवन प्रभारी कई गंभीर मामलों की जांच के दायरे में आ चुके शिक्षक प्रमोद ¨सह ने बनवाया था। दो लाख 70 हजार रुपये की लागत से बने इस विद्यालय के घटिया निर्माण के दौरान ही अंगुलियां उठनी शुरू हो गई थीं। मामले की तूल पकड़ने पर इसे किसी तरह से मैनेज करके कार्य पूरा करा लिया गया था। दो साल पहले इस विद्यालय की बीम में दरार पड़ी तो कुछ माह बाद ही छत व दीवारें भी पूरी तरह से चिटक गईं। दरारों ने दायरा बढ़ाया तो विद्यालय के प्रधानाध्यापक शारदा प्रसाद ने बच्चों की सुरक्षित रखने के लिए प्राथमिक विद्यालय के अतिरिक्त कक्षा-कक्ष में शिक्षण कार्य करना शुरू कराया। ग्रामीणों ने भवन निर्माण जर्जर होने की शिकायत भी पूर्व में शिक्षा विभाग के अधिकारियों से की, लेकिन इनकी फरियाद नक्कारखाने में तूती की आवाज की तरह दबकर रह गई। बताते हैं कि इसी साल बने दो अतिरिक्त कक्षा-कक्ष में बच्चों को शिक्षित करने का कार्य किया जा रहा है। पांच फरवरी 2016 को बीआरसी के सह समन्वयक र¨वद्र ¨सह ने इस विद्यालय का निरीक्षण किया तो विद्यालय बंद मिला और वहां एक भी छात्र नही मिला। सह समंवयक ने अपनी जांच आख्या में कहा है कि भवन टपकता है गिरने का भय बना हुआ है।
दुरुस्त कराया मुल्लाभीरी स्कूल
शिक्षक प्रमोद ¨सह भवन निर्माण को लेकर खासे सुर्खियों में रहे हैं। प्राथमिक विद्यालय मुल्लाभीरी का निर्माण भी इन्होंने कराया था। इस विद्यालय में शौचालय व रसोईघर नहीं बनाए गए थे और आधी बाउंड्रीवाल का कार्य ही कराया था। इस बाबत 'दैनिक जागरण' न 'गुरुकुल का पैसा डकार गए गुरुजी' शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। खबर प्रकाशन के बाद खुद की गर्दन फंसते देख शिक्षक ने रातों-रात मजदूर व राजगीर लगाकर निर्माण कार्य पूरा कराया था। शौचालय, रसोईघर व बाउंड्रीवाल का निर्माण कार्य पूरा करा लिया। हालांकि इस मामले की विभाग अभी जांच करा रहा है, जिसमें पिछली जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई होना तय माना जा रहा है।
किसी भी सरकारी भवन की आयु 25 से 40 साल के मध्य मानी जाती है। यदि कोई विद्यालय 25 साल से कम समय में निष्प्रयोज्य हो जाता है तो भवन प्रभारी पर कार्रवाई होना तय है।
वाईएन ¨सह, अधिशासी अभियंता आरईएस
इस विद्यालय की तकनीकी अधिकारी से जांच कराई जाएगी। जांच रिपोर्ट में अगर भवन निष्प्रयोज्य मिला तो भवन प्रभारी के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।
संजीव कुमार ¨सह, बेसिक शिक्षा अधिकारी