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बालिकाओं को बांट रहे ज्ञान का उजाला

सीतापुर : प्यासा ही सदैव कुएं के पास आता है, लेकिन क्षेत्र के एक शिक्षक ने इस कहावत को बदल दिया है।

By Edited By: Published: Sat, 20 Dec 2014 12:16 AM (IST)Updated: Sat, 20 Dec 2014 12:16 AM (IST)

सीतापुर : प्यासा ही सदैव कुएं के पास आता है, लेकिन क्षेत्र के एक शिक्षक ने इस कहावत को बदल दिया है। वह अपने विद्यालय में आने वाले छात्रों को शिक्षा तो देते ही हैं, साथ ही वह ड्राप आउट बच्चों को भी ढूढ़-ढूढ़ कर उनकी ज्ञान रूपी प्यास को शांत करते हैं। हम बात कर रहे हैं बिसवां तहसील क्षेत्र के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय क्योंटी बादुल्ला में कार्यवाहक प्रधानाचार्य पद पर तैनात राघवेंद्र प्रताप त्रिपाठी की। समाज को सुशिक्षित बनाने की दिशा में वह पूरी तरह से समर्पित हैं। उन्होंने शिक्षक पद पर रहते हुए केवल नौकरी की खानापूर्ति नहीं की है। बल्कि वह एक कर्मयोगी शिक्षक की भूमिका को निभा रहे हैं। उन्होंने क्षेत्र में बालिका शिक्षा की न केवल अलख जगाई, बल्कि उनके माता-पिता को भी साक्षर बनाने का कार्य कर रहे हैं। राघवेंद्र प्रताप त्रिपाठी वैसे तो मूल निवासी गोंडा जिले के हैं, लेकिन पिछले 35 वर्षों से बिसवां में ही शिक्षा की अलख जगाए हुए है। इस दौरान उन्होंने बालिकाओं की शिक्षा के लिए कई जागरूकता कार्यक्रम चलाए। वर्तमान में वह नवीन राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय क्योंटी में कार्यरत हैं। जब इस विद्यालय में आए थे तब यहां कोई नहीं पढ़ता था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने कक्षा आठ पास कर चुके ऐसे छात्र-छात्राओं की तलाश शुरू की जिन्होंने जूनियर कक्षा के बाद शिक्षा ही नहीं ग्रहण कर रहे हैं। उनमें सबसे ज्यादा बालिकाएं ही थीं। इनको उनके माता-पिता स्कूल नहीं भेज रहे थे। उन्होंने घर-घर जाकर अभिभावकों को समझाया। बालिकाओं को भी शिक्षा के महत्व के बारे में जानकारी दी। फलस्वरूप विद्यालय में मध्यसत्र में ही 58 छात्र-छात्राओं का प्रवेश किया जिसमें 52 छात्राएं हैं। इन छात्राओं को न केवल गणित विषय का ही पढा रहे हैं बल्कि छात्र-छात्राओं के अभिभावकों को भी साक्षर बनाने का कार्य कर रहे हैं। अधिकांश अभिभावक जो अशिक्षित थे वह अब हस्ताक्षर करना सीख गए हैं।


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