तहसीलों को बिना जानकारी दिए हो रहे बैनामा
सीतापुर: आपकी जमीन किस स्तर की है, वहां पक्का मार्ग है या कच्चा। जमीन के आसपास क्या है। जमीन की वास्तविक वैल्यू क्या है। इस सबसे उप निबंधक कोई मतलब नहीं कर रख धड़ल्ले से बैनामे कर रहे हैं। प्रत्येक दिन कितने बैनामे हो रहे हैं या माह में कुल कितने हुए हैं। ऐसी कोई भी जानकारी संबंधित तहसीलों को नहीं दे रहे हैं। जिससे फर्जी बनामों को बल मिल रहा है। इस पूरे 'खेल' में क्षेत्रीय लेखपाल, कानूनगो और भू-माफिया की 'तिकड़ी' मालामाल हो रही है और सरकार के करोड़ों रुपए की स्टांप ड्यूटी को चूना लग रहा है।
शहर या कस्बों से सटी हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि को 'भूमि उपयोग परिवर्तन' के तहत अकृषि बनाकर उस पर प्लाटिंग हो रही है। कई सैकड़ा हेक्टेयर कृषि जमीन पर प्लाटिंग हो भी चुकी है जिसमें काफी भवन भी बन गए हैं। बावजूद इसके उन बैनामों का दाखिल खारिज अब तक नहीं कराया गया है। इस 'खेल' में क्षेत्रीय लेखपाल, कानूनगो और भू-माफियाओं को उप निबंधक कार्यालयों का पूरा सहयोग भी मिल रहा है। उप निबंधक जमीन के बैनामों की कोई भी खबर तहसील को नहीं दे रहे हैं। उप निबंधक कार्यालयों में होने वाले बैनामों की कोई खबर या दस्तोवजों की प्रतियां तहसीलों को नहीं मिलने से खतौनियां भी अपडेट नहीं हो पा रही हैं। प्रशासनिक अधिकारी बताते हैं कि ऐसे जिले की अन्य तहसीलों क्षेत्रों की अपेक्षा सबसे अधिक मामले सदर तहसील से जुड़े हैं। जिसमें क्षेत्रीय लेखपाल, कानूनगो और भू-माफियाओं की तिकड़ी संबंधित जमीन की वास्तविक वैल्यू छिपाकर संबंधित क्रेता के बैनामा में पूरा सहयोग दे रही है। जमीन की वास्तविक वैल्यू छिपाने से सरकार को भी करोड़ों रुपए के स्टांप ड्यूटी की चोरी हो रही है।
डीएम बोले, उप निबंधक तहसील को नहीं दे रहे डिटेल
डीएम जय प्रकाश सिंह ने उप निबंधक कार्यालय से की जा रही गड़बड़ी को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि यही कारण है इधर कुछ महीनों से फर्जी बैनामा होने और भूमि उपयोग परिवर्तन में कृषि जमीन को अकृषि बनाने संबंधी कई प्रकरण सामने आए हैं। डीएम सिंह ने कहा कि देखा जा रहा है कि उप निबंधक कार्यालय में बैनामा होने के बाद उसकी प्रतियां तहसीलों में नहीं उपलब्ध कराई जा रही हैं। जिससे माल गुजारी निर्धारित नहीं हो पा रही है और खतौनी भी अपडेट नहीं हो पाती है।