बसपा अपर कास्ट के गरीबों को आरक्षण देने की पक्षधर : मायावती
सीतापुर : राजकीय इंटर कालेज के मैदान पर आयोजित चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने केंद्र सरकार, कांग्रेस, भाजपा और नरेंद्र मोदी सहित यूपी सरकार पर जमकर निशाना साधा। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर सोशल इंजीनियरिंग का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि विरोधियों के लुभावने वादों और घोषणा पत्रों से होशियार रहने की जरूरत है।
दोपहर ठीक 01:12 बजे जीआइसी ग्राउंड पर बने हाईटेक वातानुकूलित मंच पर जैसे ही सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कदम रखा समूचा जीआइसी मैदान जिंदाबाद के नारों से गूंज उठा। क्रीम कलर का सूट पहने मायावती सबसे पहले सीतापुर सीट की प्रत्याशी कैसर जहां, मिश्रिख के अशोक रावत और धौरहरा के दाउद अहमद के साथ मंच पर आगे आकर वहां मौजूद लोगों का अभिवादन किया। मिश्रिख प्रत्याशी अशोक रावत ने कांस्य की हाथी की प्रतिमा भेंट की। इसके बाद बसपा सुप्रीमों का संबोधन शुरू हुआ।
दलितों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की दुखती रग पर हाथ रखते हुए उन्होंने कहा कि देश की आजादी के 65 सालों बाद भी बहुजन समाज की आर्थिक व सामाजिक स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। इसके लिए वह लोग जिम्मेदार हैं, जो देश व प्रदेश में अधिकांश समय सत्ता के साथ गुजारा है। उन्होंने कहा कि बसपा अपर कास्ट के गरीब लोगों को भी आरक्षण देने की पक्षधर है। लेकिन केंद्र सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।
सूबे की मौजूदा स्थिति को लेकर प्रदेश सरकार व सपा को घेरते हुए मायावती ने कहा कि गैर बसपाई सरकारें पूंजीपतियों और धन्नासेठों की आर्थिक मदद से ही सत्ता में आती हैं, जबकि हमने यूपी में चार बार अपने बूते पर सरकार बनाई है। इसीलिए हमारी सरकार पर धन्नासेठों का दबाव नहीं चलता है। हमने यूपी में चार बार सरकार बनाई, लेकिन प्रदेश में दंगा तो दूर जातीय तनाव तक नहीं हुआ। लेकिन मुजफ्फरनगर के दंगों ने प्रदेश की जनता को चिंतित कर दिया है। इन दंगों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी सपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
गुजरात दंगों केलिए नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि वह सीएम होते जब सूबे को दंगों से नहीं बचा पाएं तो पीएम होने पर देश को कैसे सुरक्षित रखेंगे।
बैसाख की तपती दोपहरी में सभा स्थल पर मौजूद हजारों की भीड़ एकाग्र होकर उनकी बात सुनती रही। इस दौरान कई बार तालियों का शोर और जिंदाबाद के नारे भी सभा स्थल पर गूंजते रहे।