तबाही और वाहवाही के बीच उलझे इंतजाम
सिद्धार्थनगर: जनपद में सात नदियां तबाही की इबारत रचने में जुटी हुई हैं। तो उफान मारती दरिय
सिद्धार्थनगर: जनपद में सात नदियां तबाही की इबारत रचने में जुटी हुई हैं। तो उफान मारती दरिया से जान-माल को बचाने में जुटा प्रशासनिक तंत्र हलकान- परेशान है। इनका संकट संसाधनों का अभाव और उपलब्ध सामग्री को जरूरतमंदों तक पहुंचाने की चुनौती है। हर उस माथे पर शिकन है जो या तो लहरों के बीच फंसा हुआ है या उस शिकन को दूर करने का जिम्मा उठाए है। इस बीच मुख्यमंत्री भी आ गए। उनके प्रोटोकाल को चुस्त चौकस करने और बदले में वाहवाही हासिल करने का लक्ष्य भी प्रशासनिक मशीनरी का इम्तेहान ले गया। बड़ा प्रश्न यह है कि इस आपदा से जूझ रही आबादी हिस्से की राहत जिन ढीले हाथों के हवाले है वो रफ्तार कैसे पकड़ेंगे?
¨जदगियों को बचाने के लिए एनडीआरएफ की टीम अपने संसाधनों के साथ मौजूद हैं। फ्लड पीएसी भी अलग अलग मोर्चों पर डटी हुई है। वायुसेना के चौपर से खाद्य सामग्री गिराई जा रही है मगर प्रशासन की सूची में दर्ज गांवों में ही। राशन और मोमबत्ती तो पहुंच भी जा रही है पर असल समस्या पीने के पानी की बनी हुई है। पानी के जार जरूरतमंदों तक उपलब्ध कराने की योजना अभी कागजों में ही है जबकि हालात बिगड़े हुए चार दिन से ज्यादा हो गए। अफसरों के फोन घनघना रहे हैं और वो संबंधित जिम्मेदार तक सूचनाओं पर अमल का संदेश भी प्रसारित कर रहे हैं, मगर अमल हो भी रहा है इसकी निगरानी का कोई इंतजाम नहीं।
गुरुवार को शहर के करीब पकड़ी स्थित पेट्रोल पंप पर गैलन में डीजल भरवाते हुए मिले कपिलवस्तु के विधायक श्याम धनी राही ने प्रशासनिक प्रबंधों की पोल खोल दी। कहा कि लगातार बाढ़ प्रभावित गांवों में जा रहा हूं। लेकिन पिछले तीन दिन से जिस स्टीमर का प्रयोग कर रहा हूं उसका ईधन अपनी जेब से भरवा रहा हूं। ये डीजल भी उसी लिए है। विधायक की इस सूचना ने तो प्रशासन के सभी दावों की हवा निकाल दी। आम जन के मन में लहराती नदियां डर के रूप में पैठ बना चुकी हैं। और उन्हें उम्मीदें सरकारी मुलाजिमों से ही है। दर्द और अभाव में फंसे चेहरों को राहत की दरकार है। वो कह रहे हैं जो कर दें मदद वहीं उनकी सरकार।