पश्चिम से पूरब बह रही चुनावी बयार
सिद्धार्थनगर : लोकतंत्र के इस उत्सव में होली की फिजा गुम हो चली है। सब पर चुनाव की खुमारी छाई हुई ह
सिद्धार्थनगर : लोकतंत्र के इस उत्सव में होली की फिजा गुम हो चली है। सब पर चुनाव की खुमारी छाई हुई है। यहां तक कि इस फागुन में बहने वाली पछुआ हवाएं भी चुनावी पैगाम बांट रही हैं। विभिन्न संचार माध्यमों के जरिए पश्चिम से पूरब की ओर एक अलग ही सियासी हवा चल रही है, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सियासी समीकरणों एवं चुनावी रुझानों को पूर्वांचल की माटी तक पहुंचा रही है। इस पर न तो चुनाव आयोग का पहरा है, न ही किसी को कोई ऐतराज। रिश्तेदारों से हालचाल लेने के बहाने लोग एक दूसरे के क्षेत्र का चुनावी माहौल पूंछकर अपना रुख तय कर रहे हैं।
प्रदेश की कुल 403 विधानसभा सीटों में से 140 सीटों पर चुनाव संपन्न हो चुका है। एटा, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, गाजियाबाद आदि जिलों में प्रथम चरण तो सहारनपुर, बिजनौर, मोरादाबाद, संभल, रामपुर, पीलीभीत, बदायूं आदि जिलों में द्वितीय चरण में चुनाव संपन्न हो चुका है। जिले के तमाम लोगों की रिश्तेदारियां इन जनपदों में हैं। लोग अपने इन रिश्तेदारों से फोन पर हालचाल पूंछने के बाद एक बार चुनावी माहौल की टोह लेना नहीं भूल रहे हैं। वहां के सियासी हालात या यूं कहें कि ओपीनियन यहां पर हावी हो रहे हैं। मोहाना क्षेत्र के रहने वाले राजेश ने बताया कि उनके रिश्तेदार गाजियाबाद रहते हैं। अभी कल ही उनसे बातचीत हुई तो बता रहे थे कि यहां तो कमल खिलने की उम्मीद ज्यादा है। वहीं लोटन निवासी सरजू नाथ का कहना है कि दो दिन पूर्व ही उन्होंने बहन की बिदाई के लिए उसके घर पीलीभीत फोन किया था, तो पता चला कि वहां साइकिल के ही सबसे आगे रहने की संभावना है। डुमरियागंज क्षेत्र के राशिद का कहना है कि उनका एक मित्र बदायूं में रहता है। वह फोन पर बता रहा था कि वहां तो हाथी का ही जोर ज्यादा दिख रहा है। शोहरतगढ़ के मनोज, इटवा के सुरेश सहित तमाम लोगों ने भी कुछ ऐसा ही किस्सा सुनाया। कुल मिलाकर यदि देखा जाए तो पश्चिम के रुझानों का पूर्वांचल में भी चुनाव पर हावी होने की पूरी संभावना है। अब सवाल यह कि ये रुझान पूर्वांचल में कितने प्रभावी होंगे, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।