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27 हजार मासूमों के हिस्से कुछ भी नहीं

सिद्धार्थनगर : आंगनबाड़ी केंद्रों व प्राथमिक स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों में से अतिकुपोषित की पहचान

By Edited By: Published: Wed, 18 Jan 2017 09:58 PM (IST)Updated: Wed, 18 Jan 2017 09:58 PM (IST)
27 हजार मासूमों के हिस्से कुछ भी  नहीं
27 हजार मासूमों के हिस्से कुछ भी नहीं

सिद्धार्थनगर : आंगनबाड़ी केंद्रों व प्राथमिक स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों में से अतिकुपोषित की पहचान के लिए विशेष अभियान चलाया गया। इस दौरान पूरे जिले में 35 हजार 55 बच्चे चिन्हित किए गए। इनको पोषित करने के लिए उपलब्ध बजट में सिर्फ 8 हजार बच्चों का ही खुराक हो सकेगा। लिहाजा 27 हजार 55 बच्चों के खुराक का इंतजाम नहीं है। खुराक देने का आधार क्या होगा, यह किसी के समझ में नहीं आ रहा है। गर्भवती महिलाओं समेत आंगनबाड़ी केंद्रों पर अध्ययनरत बच्चों के सेहत का ख्याल रखने के लिए जिले में 3112 केंद्र संचालित है। इन पर एक-एक कार्यकर्ता व सहायिकाओं की तैनाती है। विविध योजनाओं व कार्यक्रमों समेत मानदेय के अलावा बाल विकास परियोजना अधिकारियों, मुख्य सेविकाओं के वेतन आदि पर प्रति माह भारी भरकम धनराशि खर्च किया जा रहा है। इसके बदले लाभ पर निगाह डालें तो कोई सार्थक पहल नहीं हो पा रही है। जिले में 0-5 वर्ष तक के बच्चों की संख्या 3 लाख 76 हजार 400 है, जिसमें 45 हजार अतिकुपोषित बच्चे अनुमानित संख्या थी। बीते दिसंबर माह में दो चरणों में आयोजित वजन दिवस के विशेष अभियान में जनपद में 35 हजार 55 बच्चे अतिकुपोषित चिन्हित किए गए। इसके बाद इन बच्चों को पोषित करने पर निगाह डालना लाजिमी है। इस ¨बदु पर नजर दौड़ाया गया तो चौकाने वाले तथ्य सामने आए। अतिकुपोषित बच्चों को पोषित करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार की अतिमहत्वाकांक्षी योजना हौसला पोषण मिशन का आगाज हुआ। बीते अगस्त, सितंबर व अक्टूबर के लिए उपलब्ध धनराशि से सभी बच्चों को प्रतिदिन मौसमी फल के अलावा माह में हर बच्चों को 5 सौ ग्राम का घी का पैकेट उपलब्ध कराया गया। इसके बाद प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हौसला पोषण मिशन के तहत जनवरी, फरवरी व मार्च के लिए निदेशालय बाल विकास एवं पुष्टाहार द्वारा जिले के लिए उपलब्ध कराया बजट काफी निराशाजनक वाला है। जनपद में उपलब्ध कराए गए बजट में तीन माह के लिए सिर्फ 8 हजार बच्चे ही लाभान्वित होंगे। लिहाजा 27 हजार 55 बच्चों को फल व घी का पैकेट कैसे उपलब्ध कराएंगे, को लेकर विभागीय अफसरों समेत कर्मियों के पसीने छूट रहे हैं। एक अधिकारी का कहना है कि एक केंद्र पर नामांकित बच्चों में किसको उपलब्ध कराया जाए और किसको न दिये जाएं, ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी अजय कुमार त्रिपाठी ने महज 8 हजार बच्चों के लिए ही बजट की उपलब्धता स्वीकार करते हुए कहा कि इस बारे में जिला से लगायत निदेशालय स्तर के अधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर बीच का कोई रास्ता निकाला जाएगा।

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अतिकुपोषित बच्चों की संख्या

ब्लाक संख्या

बांसी 2727

बढ़नी 2782

भनवापुर 2679

बर्डपुर 2056

डुमरियागंज 3822

इटवा 2691

जोगिया 1983

खेसरहा 2853

खुनियांव 2652

लोटन 1222

मिठवल 3020

नौगढ़ 2696

शोहरतगढ़ 1663

उस्का बाजार 1717

शहर परियोजना 492


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