अभी इमरजेंसी है, नहीं देखेंगे मरीज
सिद्धार्थनगर : यह चौबीस डाक्टरों वाला जिला अस्पताल है। से¨टग-गे¨टग का गुणा भाग कुछ ऐसा है कि विशेषज
सिद्धार्थनगर : यह चौबीस डाक्टरों वाला जिला अस्पताल है। से¨टग-गे¨टग का गुणा भाग कुछ ऐसा है कि विशेषज्ञ डाक्टरों की ड्यूटी इमरजेंसी में ही लगती है। बेचारे मरीज जाएं तो कहां जाएं। वह मजबूर हैं शोषण के लिए। वह इमरजेंसी दौड़ते हैं तो डाक्टर साहब का सीधा फरमान, अभी इमरजेंसी है। मरीज नहीं देखेंगे।
संयुक्त जिला अस्पताल में आपातकालीन स्थिति में मरीजों के उपचार को लेकर स्थापित इमरजेंसी वार्ड को फार्मासिस्ट, वार्डव्याय के साथ डाक्टर के रूप में इएमओ यानि इमरजेंसी मेडिकल आफिसर के 3 पद स्वीकृत हैं, जिसके सापेक्ष मौजूदा समय में एक भी कार्यरत हैं। लिहाजा ओपीडी के डाक्टरों को इमरजेंसी में ड्यूटी लगाया जा रहा है। अब स्थिति यह है कि ओपीडी में दिखाने वाले मरीज व तीमारदार इमरजेंसी में ही भीड़ लग जा रही और इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को अटेंड करने में संबंधित डाक्टरों को भी दिक्कतें झेलनी पड़ रही है। संयुक्त जिला अस्पताल स्थापना काल से ही रिक्त पदों का दंश झेल रहा है, ऊपर से मौजूदा व्यवस्था में अव्यवहारिक निर्णय। मरीजों व तीमारदारों की दुश्वारियां भी बढ़ना स्वाभाविक भी है। इमरजेंसी में इमरजेंसी मेडिकल के स्वीकृत तीनों पद खाली हैं। ऐसे में आपातकालीन सेवा को चलाने के लिए ओपीडी देखने वाले चिकित्सकों की ही ड्यूटी लगायी जाती है, पर ऐसे डाक्टरों की भी ड्यूटी लगा दी जाती है, जिनकी ओपीडी बेहतर है। इमरजेंसी ड्यूटी के दौरान जब मरीज वहां पहुंचता है तो संबंधित डाक्टर का सीधा जवाब अभी इमरजेंसी ड्यूटी, मरीज नहीं देख पाएंगे। सूत्र बताते है कि डाक्टरों की मिलीभगत से ही प्राय: इमरजेंसी में ही डय्टी लगवाकर ओपीडी में निर्धारित लक्ष्य से पीछा छुड़ाने की एक जुगत यह भी है। सवाल यह कि 24 डाक्टरों में सभी विशेषज्ञ तो नहीं, फिर उनकी ड्यूटी क्यों नहीं लगायी जाती है। ऐसे डाक्टरों की भी मिलीभगत हो सकती है, जिन्हें इससे मुक्त कर दिया गया है। इसके बदले जबर्दस्त से¨टग-गे¨टग प्रमाणित कर रहा है। बांसी तहसील क्षेत्र के साकारपार निवासी राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि जिला अस्पताल में विशेषज्ञ के पास आने पर अक्सर पता चलता है कि वह इमरजेंसी ड्यटी में है। वहां जाने पर इमरजेंसी ही मरीज देखे जाने का बहाना बनाकर लौटा दिया जाता है।
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इएमओ के सभी पद खाली होने के कारण ही ओपीडी डाक्टरों की ही ड्यूटी लगायी जाती है। इमरजेंसी सेवा को संचालित करने के लिए हर व्यवस्था अपनानी पड़ती है। जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों को बेहतर उपचार दिलाना ही उनकी प्राथिमकता है। इसमें किसी भी स्तर पर कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
डा. रोचस्मति पांडेय
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक