जीवन में उतारें राम के आदर्श
सिद्धार्थनगर : रामचरित मानस जीवन के हर मुकाम पर हमारा मार्गदर्शन करता है। इसमें हर किरदार के लिए एक
सिद्धार्थनगर : रामचरित मानस जीवन के हर मुकाम पर हमारा मार्गदर्शन करता है। इसमें हर किरदार के लिए एक आदर्शो का मापदंड निर्धारित है। भगवान राम के आदर्शों को जीवन में उतार कर हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। उक्त बातें राष्ट्रीय बालसंत स्वामी स्वरूपानंद महाराज ने कही। वह सदर ब्लाक के महनगा स्थित शिवमंदिर पर आयोजित संगीतमय रामकथा में श्रद्धालुओं को कथा रूपी अमृत का पान करा रहे थे। कहा कि भगवान राम ने पिता का वचन रखने के लिए राज्य का त्याग कर एक पुत्र के लिए नए आदर्श स्थापित किए। इसी तरह लवकुश प्रसंग में राजधर्म का उत्कृष्टतम नमूना प्रस्तुत कर नए मानक स्थापित किए। राजधर्म के निर्वहन को पत्नी एवं पुत्र के परित्याग का दूसरा उदाहरण इतिहास में आपको नहीं मिलेगा। राम के साथ ही देवी सीता ने भी भारतीय नारियों को अपने जीवन के माध्यम से यह संदेश दिया कि संकट की घड़ी में भी पति का साथ नहीं छोड़ा और सुख के दिनों में पति की आज्ञा शिरोधार्य कर गर्भावस्था में होने के बावजूद वन चली गई। भरत ने भी भाई के प्रति समर्पण की पराकाष्ठा निर्धारित कर हमारे समाज के लिए आदर्श प्रस्तुत किया है। रामायण के सभी किरदार हमें कोई न कोई शिक्षा अवश्य देते हैं। हमें इसको आत्मसात करना चाहिए। चंद्रमौलि मिश्र, परशुराम मणि त्रिपाठी, राजू ¨सह, महेंद्र नाथ उपाध्याय, गणेशकांत उपाध्याय, राघवेंद्र शुक्ल, ज्ञानदास यादव, रवींद्र मिश्र, राम समुझ शुक्ल, ज्वाला प्रसाद उपाध्याय, चंद्रमा चंद्र मिश्र, बाबू नंदन शुक्ल सहित भारी संख्या में महिलाएं मौजूद रहीं।