तकनीक में दक्ष हों थानाध्यक्ष : एसपी
सिद्धार्थनगर : शनिवार रात नवागत पुलिस अधीक्षक राकेश शंकर ने 50 वें पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यभा
सिद्धार्थनगर : शनिवार रात नवागत पुलिस अधीक्षक राकेश शंकर ने 50 वें पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यभार ग्रहण कर लिया। रविवार सुबह 11 बजे पुलिस लाइन सभागार में उन्होंने जिले के सभी थानाध्यक्षों को निर्देशित किया है कि वह तकनीक का पूरा-पूरा प्रयोग करें। अपराध पर अंकुश लगाने में यह प्रथा पूरी तरह कारगर है, पर उसका भी ध्यान रखें कि पुराने समय में पुलिस कैसे काम करती थी। मोबाइल नहीं थी, पुलिस फिर भी अपराधियों को पकड़ती थी। रात-रात भर इंट्रोगेशन होता था। ऐसे में पुरानी पद्धति पर भी ध्यान दें और अपराधियों को पकड़ने के लिए हाइटेक के साथ इसका भी प्रयोग करें। ताकि किसी भी स्थिति में अपराधियों को राहत न मिल सके।
थानाध्यक्षों को अपनी प्राथमिकताओं से परिचित कराने के पश्चात पुलिस अधीक्षक ने दोनों बातें दोहरायी। नई तकनीक के साथ खुद को ढालना और पुरानी पद्धति को साथ लेकर चलना। पुराने समय का जिक्र किया कि सर्विलांस सेल डेवलप नहीं था, पुलिस रात-रात भर इंट्रोगेशन करती थी। मुखबिर तंत्र मजबूत था। हर बिन्दु पर विवेचना होती थी और अपराधी पकड़ा जाता था। आज सूचनाओं के बहुत से माध्यम से हैं। सर्विलांश, स्मार्टफोन, क्राइम मै¨पग से लेकर पुलिस तमाम संसाधनों से लैस है। बावजूद इसके अपराधी फिसल जा रहे हैं तो निश्चित ही पुलिस अपना बेस्ट नहीं दे रही है। थानाध्यक्ष अखबार व अन्य माध्यमों से सूचनाओं को संकलित करें और उस पर काम भी करें। तत्पश्चात पत्रकारों से बातचीत में बताया कि वह मूलरूप से इलाहाबाद के निवासी हैं। खुद मीडिया से निकट बताते हुए कहा कि वह पुलिस में आने से पूर्व एक मीडिया कर्मी थे। 16 वर्ष तक अपर पुलिस अधीक्षक के रूप में सहारनपुर से बलिया तक सेवा दे चुके हैं। जालान, मैनपुरी व बांदा में एसपी रहे हैं। वर्ष 2008-09 तक एएसपी सिद्धार्थनगर रहे हैं। उनकी पूरी कोशिश अपराध व अपराधियों को नियंत्रित करने की होगी। सभी सीन व अनसीन चैलेंज स्वीकार किये जाएंगे। पुलिस प्रोफेसनली काम करे। सिस्टम बदल रहा है। मानवाधिकार के नियमों का ख्याल रखा जाए। ग्रास रूट लेवल पर जाकर काम किया जाए। ताकि जनता को राहत मिले। टेक्नोलॉजी के साथ पुलि¨सग को थोड़ा और साउंड करने की जरूरत है। बार्डर की समस्याओं का निराकरण किया जाएगा। विवेचना वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित होगी। यदि कोई केस गलत तथ्यों पर खोले गए हैं तो उसकी फिर से जांच होगी। विवेचनाएं हड़बड़ी में न की जाएं। इसके लिए 90 दिन का समय है।