बरसात में ग्रामीण सड़के जारी करेंगी डेथ वारंट
सिद्धार्थनगर: गांवों के विकास में मार्गो का बहुत बड़ा योगदान होता है। इसी परिकल्पना के तहत ही उनका
सिद्धार्थनगर: गांवों के विकास में मार्गो का बहुत बड़ा योगदान होता है। इसी परिकल्पना के तहत ही उनका निर्माण भी होता है। संपर्क मार्गो के निर्माण के बाद उसे उसी हाल पर छोड़ देना उसके अस्तित्व को मिटाने के समान ही है। इस क्षेत्र की आधा दर्जन अधिक महत्वपूर्ण ग्रामीण सड़के लंबे अर्से से बदहाल हैं। उखड़ चुकी गिट्टियों से सभी गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं। राहगीर को इससे बेहतर अब फिर वहीं पगडंडी की राह लग रही है। 8 किलोमीटर लंबे सकारपार-बनौली मार्ग की हालत तो बद से बदतर है। लोक निर्माण विभाग द्वारा इस मार्ग का निर्माण 12 वर्ष पूर्व कराया गया था। निर्माण के चार वर्ष बाद से ही इसकी गिट्टियां उखड़ने लगीं। वर्तमान में इस सड़क पर दिन में भी चलना टेढ़ी खीर है। इसी तरह बांसी-धानी मार्ग से 6 किमी लंबे सेमरा- मरवटिया मार्ग की भी हालत बद से बदतर है। मोटर साइकिल व साइकिल को कौन कहे इस पर पैदल चलना भी दुरुह है। कोई वाहन इससे गुजरता तो, गिट्टियां उछल कर राहगीरों को लगती हैं। कमोबेश यही स्थिति 5 किमी लंबे विशुनपुर- मरविटया मार्ग की भी है। सबसे खराब स्थिति 15 वर्ष पूर्व निर्मित बेलऊख- मरवटिया मार्ग की है। तीन किमी लंबे इस मार्ग का मरम्मत कार्य निर्माण काल से लेकर आज तक नहीं हुआ। क्षेत्रीय निवासी शिवनारायन पांडेय, शारदा पांडेय, सतीश मिश्रा, अंबिका लोधी, महेन्द्र पांडेय, वृजेश पांडेय, ओंकार पांडेय, मुन्ना पांडेय, गिरीश, रामदेव आदि लोगों में काफी आक्रोश व्याप्त है।
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''इस बार कुछ ही सड़कों के मरम्मत की स्वीकृति मिली, जिनपर कार्य किया गया। जिन सड़कों के विषय में आप बता रहे हैं इनमें से कुछ पर डिमांड भेजा गया है। अब जुलाई के बाद ही धन आने की उम्मीद है।''
भूपेश मणि
अधिशाषी अभियंता, लोनिवि, बांसी