तीन पशुओं की मौत के बाद भी नहीं जगा महकमा
सिद्धार्थनगर : इटवा विकास खंड में अज्ञात बीमारी फैलने से मवेशी असमय काल के गाल में जा रहे हैं। टी
सिद्धार्थनगर :
इटवा विकास खंड में अज्ञात बीमारी फैलने से मवेशी असमय काल के गाल में जा रहे हैं। टीकाकरण व बचाव के विभागीय प्रयास कागजों में होने से उसका लाभ धरातल पर नहीं दिख रहा। एक के बाद एक हो पही मौतों से पशुपालकों में दहशत का माहौल देखा जा रहा है।
विकास खंड के ग्राम महादेव में एक सप्ताह से रहस्यमयी बीमारी फैली हुई है। खाते पीते पशुओं के गले व पैर में एकाएक सूजन होने लगता है, और दो तीन दिन में उनकी मौत हो जा रही है। बुधवार को गांव में एक साथ तीन लोगों के पशुओं की मौत ने सभी को हिलाकर रख दिया है। मोल्हू यादव ने बताया कि दुधारु गाय थी, जिससे परिवार का भरण पोषण हो रहा था, मगर उसकी मौत ने सभी को निराश कर दिया है। विनोद यादव का कीमती बछड़ा व अकबाल की भैंस भी उसी बीमारी की भेंट चढ़ गई। ग्रामीणों का कहना है कि अभी आधा दर्जन से अधिक पशु बीमारी की चपेट में हैं, जो कब हाथ से निकल जाएं, कुछ नहीं कहा जा सकता। सूचना के बाद भी विभाग का कोई जिम्मेदार गांव में नहीं पहुंचा, जिससे पूरे गांव के पशुपालक परेशान हैं।
भनवापुर विकास खंड के ग्राम मुधकरपुर निवासी महराजमणि तिवारी ने बताया कि उनकी भैंस की कीमत करीब पचास हजार के आसपास थी, मगर बीमारी के चलते उसका पूरा शरीर गल गया है। जिसकी कीमत अब कोई पांच हजार देने को तैयार नहीं है। हरीश तिवारी, मन्नू यादव, योगेंद्र तिवारी, हाजी शरीफ, अब्दुल रहीम का कहना है कि यदि विभाग द्वारा शीघ्र कोई ठोस कदम न उठाया गया तो कई पशुओं को अपनी जान गंवानी पड़ सकती है।
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गांवों में बीमारी की सूचना मिली है, संबंधित चिकित्साधिकारी को तत्काल भेजा हूं। पशुओं में इन दिनों ब्लैक वाटर की बीमारी आ रही है। पशुपालकों को चाहिए कि वह चार-पांच दिनों तक पशुओं को बाहर चराने के लिए न ले जाएं।
डा. फणीश ¨सह
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी