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अधूरा है ख्वाब, बूंद भर पानी को तरसे तालाब

सिद्धार्थनगर : सरकार ने हर गांवों में आदर्श जलाशयों की स्थापना करायी है। वर्ष 2015-16 में जिले में

By Edited By: Published: Mon, 02 May 2016 11:11 PM (IST)Updated: Mon, 02 May 2016 11:11 PM (IST)

सिद्धार्थनगर : सरकार ने हर गांवों में आदर्श जलाशयों की स्थापना करायी है। वर्ष 2015-16 में जिले में 697 जलाशय खुदवाए गए। करीब 30 करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद तालाब बूंद भर पानी को तरस रहे हैं। तालाबों की उपयोगिता सिर्फ कमाई के जरिया तक सीमित हैं। इनका ढंग से उपयोग हुआ तो ये बहुत से पशुपक्षियों का जीवन बचाते ही, बल्कि यह पर्यावरण की शोभा बढ़ाते। हर कदम पर कमीशन चुकाने के पश्चात तालाब का स्वरूप कैसा होगा। यह आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता।

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डुमरियागंज कार्यालय के मुताबिक करोड़ों रुपए खर्च कर करीब हर ग्राम पंचायत में आदर्श जलाशय की व्यवस्था की गई, मगर उपेक्षा के चलते वर्तमान में इनकी स्थिति बदहाल है। खोजने पर भी ऐसे जलाशय नहीं मिल रहे हैं, जहां पानी पर्याप्त मात्रा में मौजूद हो। डुमरियागंज तहसील अन्तर्गत डुमरियागंज व भनवापुर में करीब डेढ़ सौ से अधिक ग्राम पंचायतों में आदर्श जलाशय की व्यवस्था मनरेगा द्वारा कराई गई। शासन की मंशा थी कि गांव में स्थित तालाबों का सुंदरीकरण कर उसके चारों ओर पेड़ लगाये जायें। तालाब में हमेशा पानी भरा रहे, इसमें नहाने अथवा घूमने के लिए सीढि़यों के बनाये जाने की योजना थी। तालाब को चारों ओर से सुरक्षित रखने के लिए उसे कंटीले तारों से घेरने की भी प्ला¨नग थी। ऐसा नहीं है कि गांव में जलाशय खोदे नहीं गए, मगर वह हकीकत का रूप लेने के बजाय धन बचाने की जुगत तक सीमित रहे। कुछ चु¨नदा जलाशय पर नजर डालें तो ग्राम मड़हली में करीब छह लाख, बेंवा हुसेन में चार लाख, गरदहिया व टड़वा में साढ़े पांच-पांच लाख रूपये खर्च कर करीब चार-पांच वर्ष पूर्व आदर्श जलाशय की व्यवस्था मनरेगा के तहत कराई गई, मगर मौजूदा वक्त में एक भी आदर्श जलाशय ऐसा नजर नहीं आएगा, जो सु²ढ़ एवं उदाहरण नुमा अपना अलग मुकाम रखता हो।

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सिरसिया निवासी अमित कुमार का कहना है कि आदर्श जलाशयों की ये स्थिति दुखद है। वर्तमान में जो मौसम है, उसको देखते हुए यदि जलाशयों में पानी की व्यवस्था कराई जाती है, तो काफी हद तक राहत मिलती। पशु-पक्षी बेहाल है, इनके पीने के लिए भी पानी जलाशयों में नहीं बचा है।

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बढ़नी चाफा निवासी चतुर्भुज कसौधन ने कहा कि सच ये है कि मनरेगा के तहत जलाशयों का निर्माण जल संरक्षण एवं गांव की खूबसूरती के लिए नहीं बल्कि धन के बंदरबांट के लिए किया गया हो, यही वजह है कि आज जगह-जगह जल संकट पैदा हो गया है।

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ग्राम सिरसिया के रहने वाले अशोक कुमार का कहना है कि आदर्श जलाशयों की स्थिति बदहाल है। तालाब से पानी सूख चुका है, तो सीढि़या कहीं नजर नहीं आ रही है, पेड़ अथवा सुरक्षा के नजरिए से भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा है।

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वर्ष 2015-16 में मनरेगा तहत 697 तालाब खोदे गए। इन जलाशयों की देखरेख भी की जाती है। जलाशयों के स्थापना पर कुल कितन रकम व्यय हुआ है। अभी इसकी जानकारी नहीं है। काउंटर करने के पश्चात इसकी जानकारी मिल सकेगी।

उमेश तिवारी

डीसी मनरेगा


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