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देते ध्यान तो उद्यान नियंत्रित करता तापमान

सिद्धार्थनगर : जनपद को हरा-भरा रखने के साथ औद्यानिक ²ष्टिकोण से मजबूत रखने का जिम्मा उद्यान विभाग के

By Edited By: Published: Mon, 02 May 2016 11:09 PM (IST)Updated: Mon, 02 May 2016 11:09 PM (IST)

सिद्धार्थनगर : जनपद को हरा-भरा रखने के साथ औद्यानिक ²ष्टिकोण से मजबूत रखने का जिम्मा उद्यान विभाग के पास है। उसके पास सोनवल, बसडिलिया, गोबरहवा तथा डुमरियागंज में नर्सरियां भी हैं, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही से औद्यानिक मिशन का सपना तो टूटा ही, इस धरा को हरा-भरा रखने का ख्वाब भी अधूरा है। विभाग केले के प्रगतिशील किसानों की ओट में अपना बचाव तो कर लेता है, मगर उससे इतर इसका प्रयास शून्य से अधिक कुछ नहीं है। सरकारी मंशा के अनुरूप यदि विभाग ने थोड़ा भी ध्यान दिया होता तो न सिर्फ हरियाली इस माटी की तकदीर गढ़ती बल्कि पर्यावरण को नियंत्रित करने में अहम योगदान देती। विभाग का सालाना बजट करीब 80 लाख रूपए के आसपास है, जिसमें चारो नर्सरियों के रखरखाव एवं उत्पादन पर 12 लाख रूपए व्यय होते हैं। हर साल लगभग 50 लाख रूपए अधिकारियों और कर्मचारियों की तनख्वाह में व्यय होते हैं। बावजूद इसके नर्सरियां बदहाल हैं। डुमरियागंज की नर्सरी पिछले कुछ वर्षों से बंद पड़ी थी, जिसे इस साल शुरू करने की कवायद की जा रही है। बाकी नर्सरियां भी बदहाल हैं। पौधे बिक नहीं पा रहे हैं। आम, अमरूद, लीची, कटहल आदि के पिछले साल के पौधे ही बचें हुए हैं। पौधों की खपत केवल सरकारी योजनाओं तक ही सिमट कर रह गई है। बसडिलिया में इस तपन के मौसम में पौधों को पानी देने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। जलस्तर गिरने से बो¨रग सूख गया है। बगल में एक किसान के बो¨रग के सहारे पौधों की ¨सचाई की जाती है। किसानों को सहूलियतें देना तो दूर यहां विभाग खुद ही किसानों की मदद का तलबगार है।

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जनपद में 400 हेक्टेयर रकबा में विभाग प्रगतिशील किसानों के माध्यम से केले की खेती करवाता है। इसके सापेक्ष बागवानी का लक्ष्य मात्र 15 हेक्टेयर के करीब रहता है। बागवानी योजना में अनुदान कम होने एवं किस्तों में मिलने के कारण भी योजना को गति नहीं मिल पा रही है। हलांकि पौधे बच जाने और लक्ष्य पूरा न होने पर रिकवरी का प्रावधान है लेकिन अबतक जिले में इस तरह की कोई कार्रवाई नहीं होने से भी जिम्मेदार बेपरवाह बने हुए हैं।

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सोनवल नर्सरी के पौधे बिक जाते हैं जबकि आउट एरिया में होने के कारण गोबरहवा और बसडिलिया में पौधे बच जाते हैं। बचे पौधों को इस साल बेचा जाएगा। तमाम प्राइवेट नर्सरियों के खुल जाने से भी विभागीय नर्सरियां प्रभावित हो रही हैं। फिर भी हम शासन द्वारा निर्धारित लक्ष्य को पूरा करते हैं।

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राजमणि शर्मा

जिला उद्यान अधिकारी


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