स्वच्छता अभियान के प्रति कोई गंभीर नहीं
सिद्धार्थनगर : गत वर्ष गांधी जयंती पर प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान को एक वर्ष से अधिक का समय बी
सिद्धार्थनगर :
गत वर्ष गांधी जयंती पर प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान को एक वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है। शुरूआती में दौर में भले ही अधिकारी, कर्मचारी, नेता, जनप्रतिनिधि एवं स्वयं सेवी संस्थाओं ने थोड़ी बहुत दिलचस्पी दिखाई थी, परंतु जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, मुहिम की रफ्तार सुस्त पड़ती गई, अब आलम यह है कि स्वच्छता अभियान के प्रति कोई गंभीर ही नहीं है। अभियान पर पंचायत चुनाव की गहमागहमी भी भारी पड़ गई है। अधिकारी, कर्मचारी चुनाव डयूटी में हैं, तो नेता, जनप्रतिनिधि अथवा स्वयं सेवी संगठनों ने भी चुप्पी साध रखी है। ऐसे में जिधर देखो गंदगी का ही बोलबाला है। स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत . का सपना कैसे साकार होगा, हर किसी के लिए सोचनीय विषय है।
बीते वर्ष का अक्टूबर महीना। जहां सरकारी, गैर सरकारी कार्यालयों के पास की गंदगी को दूर करने के लिए अफसर, कर्मचारी खुद ही हाथों में झाड़ू थाम लिए थे। स्कूलों में शिक्षकों, छात्र-छात्राओं ने भी सफाई कार्य में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। स्वयं सेवी संगठनों ने चौराहों एवं सार्वजनिक स्थानों को स्वच्छ बनाने का जिम्मा ले रखा था। भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्ताओं में तो उक्त अभियान में भाग लेने की होड़ सी लगी नजर आयी थी। वर्तमान में स्थिति यह है कि एक वर्ष के बाद फिर वही अक्टूबर का महीना है, मगर कहीं भी इस प्रकार की मुहिम नहीं चलाई जा रही है। तहसील मुख्यालय पर गंदगी पर ²ष्टि डालें तो एसबीआई बैंक के निकट पूरब दिशा के प्रमुख मार्ग के किनारे कूड़ा-करकट का ढेर लगा हुआ है। रोडवेज गेट पर गंदा जल जमाव न केवल यात्रियों के लिए परेशानी की वजह बने हुए हैं, बल्कि अगल-बगल के दुकानदार भी पीड़ित हैं, यही नहीं बस स्टेशन के गेट के किनारे बने मूत्रालय से बदबू ऐसी उठती है कि मुसाफिर व राहगीर भी परेशान हो जाते हैं। थाने के पीछे वाली सड़क से सट कर भी कूड़ा-करकट का ढेर देखा जा सकता है। ग्रामीण अंचलों में स्थिति और बुरी है। सार्वजनिक स्थान, चौराहे, गांव की सड़क, गलियां हर जगह गंदगी ने लोगों की ¨जदगी को नारकीय बना रखा है। चूंकि पंचायत चुनाव में अधिकारी व कर्मचारी डयूटी में लगे हैं, इसलिए यहां की सफाई करने वाला कोई नहीं है।