नगर हो या देहात हर जगह गंदगी का अंबार
सिद्धार्थनगर : दो अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए स्वच्छ भारत, स्वस्थ भा
सिद्धार्थनगर : दो अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत अभियान अब केवल कागजों में सिमट कर रह गया है। कहने तो उस समय सरकारी, गैर सरकारी कार्यालयों, विद्यालयों, सार्वजनिक स्थानों पर खूब झाड़ू चला, शहर हो या ग्रामीण अंचल हर जगह सफाई कार्य में जुटे नजर आए। अधिकारी, कर्मचारी, शिक्षक, जनप्रतिनिधियों ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई। पर समय आगे बढ़ने के साथ यह अभियान ठंडे बस्ते चला गया। इधर स्थिति यह है कि नगर हो या देहात, हर जगह गंदगी का बोलबाला है, अधिकारियों, कर्मचारियों व जनप्रतिनिधि की बात कौन करें, खुद भाजपा कार्यकर्ताओं के हाथ में भी अब झाड़ू दिखाई नहीं देती है।
पीएम के आह्वान पर पिछले वर्ष स्वच्छता अभियान का असर हर तरफ नजर आ रहा था। सूट-बूट ही नहीं, खादी धारी भी हाथों में झाड़ू लिए सफाई करते दिखाई दे रहे थे। जिसे देख आम नागरिक भी जागरूक हुए, कई स्वयं सेवी संस्थाओं ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। एक वर्ष बाद 2015 के अक्टूबर महीने की स्थिति ये है कि अभियान कहीं नहीं चल रहा है। कलेक्ट्रेट कक्ष में जहां जिपंस प्रत्याशियों का नामांकन हो रहा है। वहां से लेकर रोडवेज परिसर तक कूड़ा करकट ही नजर आ रहा है।
तहसील मुख्यालय डुमरियागंज की बात करें तो ब्लाक गेट के पश्चिम जिला परिषद मार्केट के नीचे नालियां बजबजा रही हैं, इसी मार्केट के ऊपर की एक सीढ़ी मूत्रालय के रूप में इस्तेमाल हो रही है। रोडवेज परिसर में गंदगी फैली हुई है, एफसीआई गोदाम गेट व परिसर की हालत भी दयनीय है, ग्रामीण अंचलों पर सोनहटी चौराहे की स्थिति बदतर है, बेवा चौराहे पर दूषित नाली बदबू फैलाए हुए है। चारों ओर गंदगी के बाद भी अब न तो नेताओं के हाथों में झाड़ू नजर आता है और न ही जनता के हाथ में। जिनके ऊपर सफाई का जिम्मा है, उनकी रफ्तार भी सुस्त पड़ चुकी है, सफाई कर्मी अपने दायित्वों के निर्वाहन में लापरवाह बने हुए हैं। जिम्मेदार जिम्मेदारी के प्रति अनजान बने हैं, तो आम अवाम भी जागरूकता की दिशा में कुछ खास दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। अधिवक्ता शैलेन्द्र कुमार रावत कहते हैं कि स्वच्छता अभियान में सभी नागरिकों को अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए। बलराम मिश्रा ने कहा कि पीएम का स्वच्छता अभियान केवल कागजों में सिमट कर रह गया है। सुहेल अहमद का कहना है कि यदि आम नागरिक ही ऐसे में कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें तो अधिकारी, कर्मचारी व जनप्रतिनिधि भी कुछ योगदान जरूर देंगे। स्वच्छता से हर किसी को लाभ है, इसमें हर किसी को अपने दायित्वों का निर्वाहन करना होगा