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तर्क व वैज्ञानिक सोच सफलता की कुंजी

सिद्धार्थनगर : दैनिक जागरण द्वारा मंगलवार को आयोजित संस्कार शाला में तर्कसंगत और वैज्ञानिक सोच पर नग

By Edited By: Published: Wed, 30 Sep 2015 10:01 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2015 10:01 PM (IST)
तर्क व वैज्ञानिक सोच सफलता की कुंजी

सिद्धार्थनगर : दैनिक जागरण द्वारा मंगलवार को आयोजित संस्कार शाला में तर्कसंगत और वैज्ञानिक सोच पर नगर के डा. दशरथ चौधरी नेशनल पालीटेक्निक कालेज के छात्रों से सीधा संवाद किया गया। व्याख्यान देने के लिए मुख्य वक्ता के रुप में रतनसेन महाविद्यालय के प्राचार्य डा. हरेश प्रताप ¨सह वहां मौजूद थे। बच्चों से संवाद में उन्होंने कहा कि संस्कारशाला निश्चय ही प्रत्यक्ष रुप से बच्चों के चरित्र निर्माण व नैतिक मूल्यों का भान कराने में अहम् भूमिका निभाती है। यह आयोजन आपको संस्कार, सभ्यता, संस्कृति को सुनने, जानने, समझने एवं कर्तव्य बोध कराने का बेहतर मंच दे रहा है।

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विषय पर चर्चा करते हुए मुख्य वक्ता ने कहा कि छात्र जीवन में जागरण द्वारा निर्धारित विषय तर्कसंगत वैज्ञानिक सोच का बहुत ही महत्व है। सही मानें में तर्क व वैज्ञानिक सोच ही आपके सफलता की कुंजी है। जिसके पास तर्क शक्ति नहीं और वैज्ञानिक युग में उसकी सोच इस दिशा में नहीं वह लाख पढ़ाई के बाद भी न खुद कुछ हासिल कर सकता है और न ही समाज को ही उससे कुछ हासिल हो सकता है। कहा वर्तमान में स्व लाभ के लिए शिक्षा ग्रहण की सोच को बदलना होगा। शिक्षा समाज को देने के लिए होती है। हम अपने ज्ञान, गुण व व्यवहार से समाज को दिशा देते हैं। छात्र होकर भी हममें समाज के प्रति जिम्मेदार होने का बोध होना चाहिए। इसके लिए शिक्षा के स्तर में सुधार की आवश्यकता है। सुधार की प्रक्रिया में समाज के शिक्षित व बुद्धिजीवी वर्ग को आगे आकर एक ऐसी प्रणाली विकसित करनी होगी जिसमें वैज्ञानिक सोच तर्कसंगत रुप से समाहित हो।

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छात्रा प्रिया श्रीवास्तव कहती हैं कि हम जब तार्किक होंगे तभी वैज्ञानिक सोच का अंगीकार कर सकेंगे। इस कार्यक्रम के तहत अंदर उठ रहे बहुत सारे सवाल जो विज्ञान व तर्क पर आधारित थे । उनके जवाब भी मिल गये, जिससे एक बेहतर परिणाम पर पहुंचने में मदद मिल सकेगी।

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तर्क में निहित है ज्ञान

शिवानी मिश्रा का कहना था कि विज्ञान ज्ञान की ही विषय वस्तु है। ज्ञान वहीं मिलता है जहां तर्क होता है। साइंस मतलब विज्ञान तर्क आधारित परिणाम देता है। कार्यक्रम के माध्यम से मेरी अधिकांश परेशानियां एवं सवाल जो इस दुनिया में नियमित गतिशील चीजों को लेकर मन में उठा करते थे उनका जवाब भी इस कार्यक्रम के तहत तर्क के माध्यम से मिल गया और मेरे अंदर की वह वैज्ञानिक सोच भी गतिशील हो गई।

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तर्क की कसौटी पर विज्ञान चमत्कार

छात्रा शीलम ने विज्ञान के चमत्कार को तर्क की कसौटी पर घिस कर देखने की बात कही। कहा कि हम जब विज्ञान के किसी चमत्कार को देखते हैं तो मन में उसके विषय में जानने की जिज्ञासा भी उठती है। कैसे क्यों कब आदि कई सवाल कौंधते हैं उन्हें जब किसी जानकार द्वारा तर्क के जरिए रखा जाता है तो हममें भी वह वैज्ञानिक सोच घर कर जाती है।

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इसका अनुकरण समय की मांग

छात्रा मैसी श्रीवास्तव का कहना है तर्कसंगत व वैज्ञानिक सोच आज समय की मांग है। डिजीटल इंडिया का नारा दिया जा रहा है। हममें जब तक तर्कसंगत और वैज्ञानिक सोच नहीं होगी तब तक हमें इसका लाभ नहीं मिल सकेगा। समाज के मानदंडों में इसकी उपयोगिता काफी हद तक अधिक है। हर किसी में इस सोच का होना इसलिए भी जरुरी है कि हम इसी के बल पर आगे की पीढ़ी को और बेहतर मंजिल दिला सकेंगे।

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सभी की हो यह सोच

छात्रा सपना ¨सह कहती हैं कि आधुनिक समाज में हर किसी के अंदर यह दोनों चीजें निहित होनी चाहिए। हम छात्र हैं हमारे लिए तो इसकी उपयोगिता और भी है। तर्कसंगत और वैज्ञानिक सोच रखने के लिए हर आवाम को शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ना जरुरी है। जब सभी में यह विशेषता होगी तो हमारा देश भी रुस जापान व अमेरिका की तरह नहीं बल्कि उससे ऊपर होगा।

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विकास में महती इसकी भूमिका

छात्र सतीश कुमार श्रीवास्तव दैनिक जागरण द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम से काफी प्रभावित है। इनका कहना है जिसके पास तर्कसंगत वैज्ञानिक सोच होगी वह आसानी से तमाम उपकरणों का सही प्रयोग कर सकेगा और जरुर पड़ने पर वह खुद भी देश, समाज व स्वयं के विकास को गति दे सकेगा। छात्र जीवन में हमारे लिए यह दोनों विषय एक तरह से गूढ़ मंत्र के रुप में है जिसका आत्मसात कर हम समाज को नई दिशा की ओर अग्रसर सकते हैं।

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शिक्षा व समाजिक जीवन में महत्वपूर्ण

छात्र मोहित का कहना था कि संस्कारशाला के तहत तर्कसंगत व वैज्ञानिक सोच विषय पर दिया गया व्याख्यान हमारे छात्र जीवन से लेकर समाजिक जीवन तक में काफी महत्वपूर्ण छाप छोड़ने वाला है। इस विषय की उपयोगिता आज के समाज में काफी हद तक बढ़ जाती है। हम रुढि़वादी विचार धारा से आज भी ओत प्रोत है। हममें तर्क करने की क्षमता का अभाव ही इन्हें बढ़ावा दे रहा है। आज विज्ञान का युग है ऐसे में हमें रुढि़वादी क्रिया कलापों को वैज्ञानिक सोच के साथ नकारा होगा।

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इससे ही संभव उन्नति

छात्र देवेश मिश्रा का कहना है कि तर्कसंगत और वैज्ञानिक सोच से ही समाज की उन्नति संभव है। शिक्षा के क्षेत्र में काफी पिछड़े इसे क्षेत्र में इसका घोर अभाव है। इसका मुख्य कारण शिक्षा दर में भारी गिरावट ही है। सभी शिक्षित हो यदि तर्कसंगत वैज्ञानिक सोच रखने लग जाएं तो आने वाला समय हमारा होगा। पूरा विश्व हमारे बेहतर विकास की मिशाल पेश करेगा।

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हर वस्तु का दिखेगा महत्व

छात्र अजय कुमार यादव का कहना है कि तर्कसंगत वैज्ञानिक सोच रखकर हम उपयोगी व अनुपयोगी ऐसी कई वस्तुओं का सही उपयोग बेहतर ढंग से कर सकते हैं। कृषि प्रधान देश में इस बात की महत्ता तो और भी अधिक है। हमें अपनी खेती में भी यह सोच रखनी चाहिए। सुविधाएं बदल रहीं है हम उनका लाभ कैसे ले सकते हैं वह हमारे जीवन में उनकी क्या उपयोगिता है इससे क्या क्या लाभ हो सकते हैं यह सभी बातें तर्कसंगत व वैज्ञानिक सोच से ही मालुम की जा सकती है। जिसका सीधा लाभ हमारी उपज में दिखाई देगा और श्रम व धन भी कम खर्च होगा।

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इससे ही मंजिल मिलना संभव

छात्र सूरज यादव का कहना था कि किसी भी वैज्ञानिक आविष्कार व सोच के निर्माण में भले ही हमें कई बार असफलता मिले पर यदि हमारे अंदर तर्कसंगत वैज्ञानिक सोच रहेगी तो एक न एक दिन हमें वह मंजिल मिल ही जायेगी जिसके लिए हम वर्षों से प्रयासरत है। व्यक्ति, व्यक्तित्व व समाज के विकास में तर्कसंगत होना व वैज्ञानिक सोच रखना एक महती भूमिका निभाता है।


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