दो दिन उजाला, फिर छाया अंधेरा
सिद्धार्थनगर : चौराहों की पथ प्रकाश व्यवस्था के लिए लाखों रुपये खर्च कर दिए जाते हैं। जगह-जगह हाईमास
सिद्धार्थनगर : चौराहों की पथ प्रकाश व्यवस्था के लिए लाखों रुपये खर्च कर दिए जाते हैं। जगह-जगह हाईमास्ट लगाए जाते हैं, पर एक बार हाईमास्ट खराब हो जाता उसके बाद कोई पुरसाहाल नहीं रहता है।
बयारा चौराहे पर सांसद निधि से करीब 17.75 लाख की लागत से लगे हाईमास्ट से केवल दो दिन ही उजाला मिला, फिर जो अंधेरा फैला, वह अब तक दूर नहीं हो सका है। बयारा चौराहे की पथ प्रकाश व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए सांसद जगदम्बिका पाल द्वारा करीब आठ माह पहले हाईमास्ट लगवाया गया। सिर्फ दो दिन इसमें से प्रकाश फैला, फिर जो हाईमास्ट खराब हुआ वह अब तक ठीक नहीं हो सका है। दो ही दिन में हाईमास्ट की खराबी से गुणवत्ता भी सवाल के घेरे में है, परंतु जांच कौन करेगा, इसकी जिम्मेदारी कोई लेने को तैयार ही नहीं है।
ग्राम प्रधान जगदेव जायसवाल का कहना है कि ऐसे कुछ दिनों तक हाईमास्ट हाथी के दांत की कहावत को चरितार्थ करेगा, फिर कोई सांसद, विधायक नया हाईमास्ट लगा देगा। जामिन अली व धर्मेन्द्र कौशल का कहना है कि कार्यदायी संस्था अथवा ठेकेदार के कार्यों की जांच होनी चाहिए, लाखों रुपया बेकार चला जाता है और ध्यान भी नहीं देता है।
संजय अग्रहरि, सरजू प्रसाद, राधेश्याम, मो. अख्तर, महेन्द्र चौधरी, लल्लू आदि ने जिलाधिकारी से निष्पक्ष जांच कराने एवं हाईमास्ट ठीक कराने की दिशा में उचित कदम उठाये जाने की मांग की है।