इस नगरी में 365 मंदिर और कुएं
सिद्धार्थनगर : तहसील मुख्यालय के पश्चिम स्थित प्राचीन व ऐतिहासिक कस्बा बिस्कोहर में तीन सौ पैसठ शिव
सिद्धार्थनगर : तहसील मुख्यालय के पश्चिम स्थित प्राचीन व ऐतिहासिक कस्बा बिस्कोहर में तीन सौ पैसठ शिव मंदिर व इतने ही कुएं ऐतिहासिकता का स्पष्ट गवाह हैं। कभी व्यवसाय का प्रमुख केंद्र रहे कस्बे की रौनक बढ़ते बाजारवाद ने छीन ली है। प्रदेश के कई जिलों समेत नेपाल राष्ट्र का प्रमुख बाजार होने वाले कस्बे के इतिहास में कई राज भी सिमटे हैं। यदि पुरातत्व विभाग समेत सरकारें ध्यान दें तो चादर में सिमटे कई प्राचीन व ऐतिहासिक तथ्यों से पर्दा उठना तय है।
अंग्रेजी हुकूमत के समय में यहां बड़े पैमाने पर व्यवसाय होता था। नेपाल से थारू समुदाय के लोग आते थे, जो अपने यहां से जड़ी बूटी आदि औषधियों के बदले बर्तन, अनाज, कपड़ा, मसाला आदि सामग्री ले जाते थे। व्यापारी शैव संप्रदाय के थे, जिनकी भगवान शिव में बड़ी आस्था थी। लोग धन वैभव से पूरी तरह से संपन्न थे, इसलिए दूसरे के मंदिर में पूजा करने के बजाय स्वयं मंदिर बनवाकर उसमें पूजा करते थे। इसी के चलते गांव में इतने मंदिर व कुंओं की स्थापना हो सकी। विष को हरने वाले भगवान शिव के नाम पर कस्बे को बिष्कोहर नाम की संज्ञा मिली। प्राचीन समय में प्राकृतिक उथल पुथल के चलते जब कस्बे पर संकट आया तो व्यापारी नेपाल के कोइलाबासा चले गए। जब समय अनुकूल हुआ तो फिर से आकर यहां व्यापार का कार्य प्रारंभ हुआ। शिव मंदिर व कुओं के अस्तित्व पर कोई खतरा न आने से लोगों में आस्था और बढ़ गई।
कस्बे के दक्षिणी छोर पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर के पास बना जुड़वा कुआ कौतूहल का विषय है। लोगों के मुताबिक मंदिर निर्माण के दौरान जब कुएं की खुदाई होने लगी तो उसके बगल एक और कुआं दिखाई पड़ा। जिससे यह कयास लगाने जाने लगा कि यहां प्राचीन समय में भी आबादी रही होगी। उसे धरोहर मानते हुए दोनों को अंदर से आपस में जोड़ दिया गया।