किसानी संग बागवानी से बना रहे तकदीर
सिद्धार्थनगर : हर इंसान में चाह छिपी होती है कुछ ऐसा कर गुजरने की, जिससे वह समाज में एक मिसाल बन जा
सिद्धार्थनगर : हर इंसान में चाह छिपी होती है कुछ ऐसा कर गुजरने की, जिससे वह समाज में एक मिसाल बन जाए। बस जरूरत होती है सही राह दिखाने वालों की। यह बात डुमरियागंज क्षेत्र के दर्जनों किसानों पर सटीक बैठती है, जिनकी सोच में जागरण 16 जुलाई के अंक में प्रकाशित खबर, मेड़ पर लगे पेड़, खेतों में लहलहा रही फसल, ने व्यापक बदलाव कर दिया। किसानों ने खेती संग मेड़ पर जो बागवानी करने का प्रण लिया वह लगातार जारी है। नतीजा यह है कि अब अधिकांश किसानों ने अपने खेतों की मेड़ पर पौधरोपण का कार्य निरंतर जारी किए हुए हैं। जो वर्तमान में मेड़ पर लगे पौधे के रूप में देखे जा सकते हैं।
क्षेत्र के ग्राम डुमरिया निवासी किसान विजय भाष्कर कहते हैं कि देखभाल के डर से मेड़ पर पेड़ लगाने से डर रहा था, लेकिन जागरण में मेड़ पर पेड़ के फायदे को पढ़ कर हौसला बढ़ा, और अपने खेतों पर पेड़ लगाने मे देर नहीं की। बकौल किसान राम सूरज खेत कम होने के कारण वृक्ष लगाने की इच्छा मन में दबी थी, लेकिन जागरण खबर का असर रहा कि हमारी खेती और बागबानी दोनों की ख्वाहिश पूरी हो गई। किसान माता प्रसाद कहते हैं कि खबर का यह असर रहा कि मैने तत्काल ही खेती के साथ बागवानी करने का प्रण कर लिया। और अपने सभी खेतों की मेड़ों पर सैंकड़ों पौधे रोप डाले। किसान ओरी लाल बताते है कि खेत की मिट्टी की कटान से कई सालों से पीड़ित था, जागरण की प्रेरणादायी खबर पढ़ कर मानो डूबते को तिनके का सहारा मिल गया। मेड़ों पर जम कर पौधे लगाए। किसान तुलाराम कहते है कि किसानी और बागवानी से मुख्य रूप से ईधन की समस्या से भी छुटकारा पाना है।
इसके अलावा किसान लाल जी, राकेश, बंशी, बब्लू, मनमोदी आदि बताते है कि जागरण में आए दिन किसानों के उत्थान के लिए छपने वाली खबरें किसानों के लिए न सिर्फ प्रेरणादायी है बल्कि अनुकरणीय भी है। जिन्हे पढ़ कर पूर्वांचल के किसानों को नई व उपयोगी वैज्ञानिक विधि द्वारा खेती किसानी करने का पता चलता है।
किसान सुनील कुमार, छागुर, रमेश आदि एक स्वर में बताते है कि मेड़ पर पेड़ लगाने के कई लाभ है, जिसमें मुख्य रूप से पर्यावरण सुरक्षा में सहयोग तो है ही, एक ही देख रेख में एक साथ दो चीज तैयार हो रही है, फसल भी वृक्ष भी, जो हमारे कल को पूरी तरह सुखद बनाने में मील का पत्थर साबित होगा।