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जर्जर संसाधनों पर दौड़ रहा मौत का करंट

सिद्धार्थनगर : जिम्मेदारों की उदासीनता कहें या नागरिकों का दुर्भाग्य। इटवा कस्बे की बिजली व्यवस्था

By Edited By: Published: Sun, 02 Aug 2015 10:51 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 10:51 PM (IST)

सिद्धार्थनगर : जिम्मेदारों की उदासीनता कहें या नागरिकों का दुर्भाग्य। इटवा कस्बे की बिजली व्यवस्था पूरी तरह जर्जर संसाधनों पर टिकी हुई है। बार-बार पैदा हो रही लोकल फाल्ट की समस्या से लोग आजिज हैं, वही जर्जर पोल व तारों के टूट कर गिरने की संभावनाओं से लोग दहशत में है।

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कस्बे में लगे अधिकांश लोहे के पोल जमीन की सतह से जंग खाकर टूट चुके हैं, तो कई पोलों पर केबिल का जाल बिछा दिया गया है। जिससे सार्ट-र्सिकट आदि होने की संभावनाएं अधिक हो जाती है। कस्बा वासी विनोद यादव, अवधेश जायसवाल का कहना है कि ¨सडीकेट बैंक व पूर्वांचल ग्रामीण बैंक के सामने लगे सौ केवीए ट्रांसफार्मर का पोल बीच में टूट गया है, जिसे लोहे के इंगल से बांध कर काम चलाया जा रहा है। बुद्धि प्रकाश, मो. मुकीम का कहना है कि यदि कभी तेज आंधी आ गई तो पोल के धराशायी होने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता। मो. इरफान, मो. सलीम, अब्दुल कलीम आदि ने बताया कि लोकल फाल्ट की समस्या अक्सर पैदा होने से सुचारू आपूíत मिलती कहीं से नहीं दिख रही। जर्जर पोल व तार गिरकर किस का काल बन जायें कुछ कहा नहीं जा सकता।

जेई इटवा बीपी सिन्हा ने कहा कि इटवा कस्बे के लिए अलग से फीडर बनाया जा चुका है। जिस पर काम भी चल रहा है। शीघ्र ही सभी पोल व तार बदल दिये जायेंगे।


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