जीने का सलीका सिखाती है मदरसा तालीम
सिद्धार्थनगर : मदरसा तालीम हमें जीने का सलीका सिखाती है। दीनी जानकारियों के अलावा मुल्क की तरक्की
सिद्धार्थनगर :
मदरसा तालीम हमें जीने का सलीका सिखाती है। दीनी जानकारियों के अलावा मुल्क की तरक्की एवं अमन का पैगाम भी मदरसों से दिया जाता है। मदरसों को आतंकवाद से जोड़ना पूरी तरह गलत है, यह सिर्फ मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश के सिवा कुछ भी नहीं है।
उक्त बातें सफा सोसाइटी के प्रबंधक मौलाना अब्दुल वाहिद मदनी ने कही। सोमवार को सफा शरीयत कालेज में आयोजित दीनी प्रोग्राम को बतौर मुख्यअतिथि संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मदरसों में दीनी व दुनियावी दोनों तालीम (शिक्षा) दी जाती है। मदरसे से शिक्षा हासिल कर आज बहुत सारे लोग देश के बड़े-बड़े पदों पर कार्यरत हैं। छात्र-छात्राओं से आह्वान किया कि वह पूरी मेहनत से तालीम हासिल करें, जिससे उनकी ¨जदगी खूबसूरत व खुशगवार बन सके। अध्यक्षता (सदारत) कारी अबुल कासिम फैजी व संचालन (निजामत) मौलाना फखरूद्दीन सल्फी ने किया। प्रोग्राम में मदरसे के बच्चों ने विभिन्न विषयों पर आधारित कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए। छात्र रशीद अहमद द्वारा
. मत जोड़ो आतंकवाद का नाम मदरसों से।
निकले जाकिर, फकरूद्दीन, कलाम मदरसों से।।
. पढ़ी गई नज़्म को लोगों ने खूब सराहा। आखिर में परवेज याकूब मदनी ने सभी लोगों के प्रति शुक्रिया अदा किया। कमालुद्दीन सिराजी, अब्दुल अजीज, अब्दुल माबूद, मुख्तार अहमद फैजी, मो. इसहाक सल्फी, अबुल हेलाल नदवी, निसार अहमद, अब्दुल मुबीन, इरशाद अहमद समेत तमाम लोग एवं बड़ी तादाद में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।