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बढ़े मदद को हाथ तो बचे मासूम की जान

सिद्धार्थनगर : खुदा किसी को गरीबी न दे, गरीबी दे तो बदनसीबी न दे, मगर जब दोनों एक साथ मिल जाए तो

By Edited By: Published: Thu, 16 Apr 2015 09:57 PM (IST)Updated: Thu, 16 Apr 2015 09:57 PM (IST)

सिद्धार्थनगर : खुदा किसी को गरीबी न दे, गरीबी दे तो बदनसीबी न दे, मगर जब दोनों एक साथ मिल जाए तो इंसान पर क्या गुजर रहा होगा, इसका दर्द सिर्फ वहीं महसूस कर सकता है।

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खुनियांव विकास खंड के ग्राम माधवपुर उर्फ चंदनजोत निवासी कुसुम पत्नी राम अजोरे का बेटा महेश (6) इतनी कम उम्र में ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित है। चार माह पूर्व बुखार आने पर आसपास के झोलाछाप डाक्टरों से इलाज कराना शुरू किया। फायदा न होने पर सीएचसी इटवा दिखाया, मगर कोई फायदा नहीं पहुंचा। तीन महीने तक इधर उधर इलाज करा जब थक गई तो किसी ने लखनऊ इलाज कराने का सलाह दिया। मेडिकल कालेज ले जाने पर जांच में पता चला कि ब्रेन ट्यूमर है तो उसके नीचे की जमीन खिसक गई। वजह खेती के नाम पर एक धुर जमीन नहीं है। पति मेहनत मजदूरी कर किसी तरह जीविका चला रहा था। बकौल कुसुम लखनऊ इलाज कराने में तीन लाख रुपए का खर्चा आ रहा है, डाक्टर कहते हैं कि आपरेशन में इससे कम खर्च नहीं लगेगा। जो पैसा था इधर इलाज कराने में खर्च हो गया। यदि सरकारी मदद मिल जाती तो शायद बेटे की जान बच जाती। यही सोचकर कलेजे के टुकड़े को हमेशा अपने सीने से चिपकाए रहती हूं।

एसडीएम इटवा रामसूरत पाण्डेय का कहना है कि पीड़ित मुझसे मिले, यथा संभव सरकारी मदद दिलाने का प्रयास किया जाएगा।


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