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मुरादें पूरी करती हैं कठेला की समय माता

सिद्धार्थनगर : तहसील मुख्यालय से करीब पचीस किमी दूर स्थित कठेला ग्राम के पूर्वी छोर पर स्थित प्रसिद

By Edited By: Updated: Tue, 24 Mar 2015 10:21 PM (IST)
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सिद्धार्थनगर : तहसील मुख्यालय से करीब पचीस किमी दूर स्थित कठेला ग्राम के पूर्वी छोर पर स्थित प्रसिद्ध कठेला की समय माता दर्शन के बाद किसी भी भक्त को निराश नहीं करती हैं। यहां आने वाले हर श्रद्धालु की मन्नतें अवश्य पूरी होती हैं।

चैत्र नवरात्र के अवसर पर यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमी रहती है। क्षेत्र के अलावा प्रदेश के अन्य जनपदों से भी श्रद्धालुओं का काफी आना जाना लगा रहता है। मान्यता है कि समय माता के दरबार में आने वाले भक्तों को किसी प्रकार की समस्या नहीं आती है। जिससे सुबह से ही लोगों द्वारा पूजा अर्चना व चढ़ावा का दौर शुरू हो जाता है। स्थान के उछ्वव के बारे में लोगों का कहना है कि सैकड़ों वर्ष पहले घने में जंगल में देव स्थल के रूप में विख्यात स्थान पर लोगों द्वारा पूजा अर्चना की जा रही थी। उक्त स्थान को लेहड़ा देवी व देवी पाटन व पल्टा देवी के ही रूप की संज्ञा दी गई है। मंदिर पुजारी हंसू दास का कहना है कि अंग्रेज के शासन काल से ही यहां मां के भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है। यहां सच्चे मन से अराधना करने वालों की मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती है। पूरे नौ दिन तक यहां मेला लगा रहता है। सुबह से ही भक्त गण भंडारा कर लोगों को प्रसाद खिलाने में व्यस्त रहते हैं। स्थान की दिन प्रतिदिन महत्ता बढ़ने से 1994 में कठेला स्थिति पूर्वांचल ग्रामीण बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक राघवेंद्र मणि त्रिपाठी व बढ़नी नगर पालिका पूर्व चेयर मैन राम नरेश उपाध्याय आदि की मन्नतें पूरी होने पर स्वयं के सहयोग से मंदिर निर्माण कार्य शुरू कराया, जिसमें क्षेत्रीय लोगों के अपार सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। सुधीर पाण्डेय, लक्ष्मी त्रिपाठी, सुखराम साहू, जगदीश गुप्ता, राजू वर्मा, मोती लाल, राम किशोर, सुरेंद्र, त्रिवेणी उर्फ फकीरी, राम सागर चौबे, रवि कुमार आदि ने बताया कि हर साल नवरात्र में मां के दरबार में आते है। आज तक जो भी मांगें मांगी सभी मुरादों को समय माता ने पूरा किया है।

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