बेबसी के आंसू बहा रहे किसान
सिद्धार्थनगर : अक्टूबर महीने में आए हुदहुद तूफान ने किसानों को किस कदर बर्बाद किया, इसकी असलियत अ
सिद्धार्थनगर : अक्टूबर महीने में आए हुदहुद तूफान ने किसानों को किस कदर बर्बाद किया, इसकी असलियत अब धान की फसल कटने के दौरान सामने आ रही है। प्रकृति के इम्तिहान ने अन्नदाता को बेबसी के आंसू बहाने पर विवश कर दिया। पिछले वर्ष की अपेक्षा करीब चालीस से पैंतालीस प्रतिशत उत्पादन पर असर पड़ा।
चक्रवात के समय ही किसानों को एहसास हो गया था, कि इस बार उत्पादन प्रभावित होगा, वैसे तो सरसो, अरहर, गन्ना की फसलें भी जद में आई थीं, परंतु धान की खेती में इस कदर नुकसान होगा, इसको किसी ने सोचा तक नहीं था। जिस समय तूफान आया उस वक्त फसल दुग्ध प पुष्पा अवस्था में थी, दुग्ध वाली फसल लेट गई तो पुष्प वाली में दाने ही नहीं पड़े। ऐसी स्थिति में जब धान की फसल तैयार हुई और कटाई कराई गई, तब हकीकत सामने आई। महीन धान जो प्रति बीघा औसत चार क्विंटल व मोटा धान जो सात से आठ क्विंटल की पैदावार देते थे, पचपन से साठ फीसदी ही उत्पादन दे सके। पटखौली निवासी परमेश्वर चौधरी ने बताया कि फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई, आठ बीघे की फसल में मुश्किल से दस कुंतल का ही उत्पादन हुआ। परमानंद तिवारी का कहना है कि चार बीघे में आठ कुंतल ही पैदावार हुई। त्रिभुवन, मड़हला निवासी शौकत, अनवारूल्लाह, चिंकू, तिलगड़िया निवासी टासू चौधरी आदि की भी यही पीड़ा है कि हुदहुद तूफान ने उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया। कृषि विज्ञान केंद्र सोहना के वैज्ञानिक डा. मारकण्डेय सिंह का कहना है कि इस बार उत्पादन घटने की मुख्य वजह हुदहुद तूफान है। प्राकृति आपदा के कारण किसानों की करीब चालीस फीसदी पैदावार प्रभावित हुई।