Move to Jagran APP

डेंगू इंसेफेलाइटिस की जद में पुलिस लाइन

By Edited By: Published: Wed, 03 Sep 2014 09:19 PM (IST)Updated: Wed, 03 Sep 2014 09:19 PM (IST)
डेंगू इंसेफेलाइटिस की जद में पुलिस लाइन

सिद्धार्थनगर : डेढ़ सौ पुलिस कर्मियों का परिवार डेंगू, इंसेफेलाइटिस की जद में है। वजह पुलिस लाइन में उनके घरों के इर्द-गिर्द जलजमाव व गंदगी का ढेर लगने से वहां मच्छरों की फौज है। इससे उनका कुनबा अक्सर बीमार रहता है। ऐसा भी नहीं सरकार को उनकी फिक्र ही न हो, लेकिन उनकी तकदीर इतनी फूटी है कि दस वर्षो में एक करोड़ रुपया खर्च करने के बावजूद वहां नालियों का जाल तैयार न हो सका। यह और बात है कि जिम्मेदार अब भी बजट का रोना रो रहे हैं।

loksabha election banner

सरकार फिक्रमंद है जवानों के सेहत, सुरक्षा व मूलभूत सुविधाओं को लेकर। लाइन में इसके लिए प्रतिवर्ष लगभग दस लाख का बजट आता है मेंटिनेंस के लिए। दस वर्षो में यहां करोड़ से अधिक का बजट खर्च हो चुका है। बावजूद इसके डेढ़ सौ परिवारों के लिए नाली-नाला का निर्माण तक नहीं हो सका है। अधूरे नालों से पानी घर के इर्द-गिर्द जमा हो रहा है। इससे वहां गंदगी का अंबार लग रहा है। सर्वाधिक दयनीय दशा टाइप ए के आवासों की हैं। दस वर्षो में यहां 1 करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च हो गई, नालियों का कनेक्शन ही नहीं बन पाया है। ऐसे में पुलिस कर्मी किसी को क्या सुरक्षा प्रदान करेंगे जब उनका खुद का किला कमजोर है। लाइन में सड़क के पश्चिम आवास के पीछे नाला तो है, मगर घरों के पीछे पानी ले जाने की व्यवस्था नहीं है। पूरब साइड में ब्लाक 1 से ब्लाक 6 तक का पानी पहले सामने की बाग में जाता था, मगर उसे भी रोक दिया गया है। ऐसे में घरों का पानी आवासों के इर्द-गिर्द ही जमा होता। इनके परिजन यहां अक्सर बीमार भी होते रहते हैं। निवर्तमान एसपी जे.के.शुक्ल ने निरीक्षण में इसके लिए लाइन के जिम्मेदारों को फटकार भी लगाई थी। सूत्रों की मानें तो गत वर्ष 150 मीटर नाली के लिए लगभग 35 लाख रुपए का बजट आया था, मगर निर्माण से पूर्व ही रुपयों पर निगाहें गड़ने लगीं। यहां तक ठेकेदार इसे लेकर निर्माण को तैयार ही नहीं हो रहा था। मिन्नतें करने के बाद इसे किसी तरह बनवाया गया तो उसका कनेक्शन तालाब की तरफ से दिया गया। बीच का हिस्सा कनेक्ट ही नहीं है। नाली निर्माण को लेकर भी कई बार सवाल खड़े हुए, मगर किसी की उस पर निगाह ही नहीं गई अथवा जिम्मेदार ऐसे ही अंजान बने बैठे हैं।

पुलिस लाइन के इन्द्रासन, गीता उपाध्याय, डी.के.त्रिपाठी, उर्मिला आदि का कहना है कि यहां की मुसीबतों से आजिज हैं। अनुशासन के नाम पर उनके होठ सिले हैं। जांच की जाए तो पता चलेगा कि इससे गई गुजरी हालत में कहीं की पुलिस लाइन नहीं होगी। इतना नहीं कई लोगों ने यह भी बताया कि जांच में गड़बड़झाले का खुलासा होते भी देर न लगेगी।

''नाला निर्माण के लिए बजट की कमी है। इसके लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। बजट आते ही उसे ठीक करा दिया जाएगा।''

के.के.चौधरी

पुलिस अधीक्षक, सिद्धार्थनगर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.