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मनरेगा पर सीबीआइ जांच का फंदा

By Edited By: Published: Wed, 27 Aug 2014 11:17 PM (IST)Updated: Wed, 27 Aug 2014 11:17 PM (IST)
मनरेगा पर सीबीआइ जांच का फंदा

सिद्धार्थनगर : सीबीआई जांच के घेरे में जिला सिद्धार्थनगर भी है। हालांकि जिम्मेदार इसे इन्कार कर रहे हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की हकीकत जानने के लिए सीबीआई ने एक अप्रैल 2007 से एक अप्रैल 2010 का सम्पूर्ण ब्यौरा तलब किया है। इसे लेकर विभाग डीआरडीए भवन में पिछले पन्द्रह दिन से कसरत चल रही है। प्रपत्र तैयार किये जा रहे हैं। हालांकि फर्जीवाड़ा में लिप्त हाथों को बचाने में जिम्मेदारों के हाथ न फंस जाए, इसकी चिंता उन्हें खाए जा रही है।

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मनरेगा के तहत कार्यदायी संस्था द्वारा क्या-क्या परियोजना चलाई गई, कितना धन आवंटित हुआ, किस तरह उसे खर्च किया गया। उक्त तिथियों में सारी धनराशि, उसका व्यय। सामग्री की खरीद पर कितना व्यय हुआ, कितने कुशल व अकुशल श्रमिकों ने कार्य किया, काम में हुए खर्च और अवशेष धनराशि का विवरण सीबीआइ प्रशासन से मांगा है। पत्र मिलते ही आनन-फानन में ग्राम व क्षेत्र पंचायत में कराये गए कार्यो की सूची बनाने का काम दिनों-रात चल रहा है। जिले के हर ब्लाक कार्यालयों की फाइलें दुरुस्त की जा रही हैं। रात-दिन सिर्फ सीबीआइ जांच की बात हो रही है। कैसे दागी जांच से बचे इसकी जुगत भी लगायी जा रही है। इन दिनों चाहे जिस ब्लाक में चले जाएं, अधिकारी जांच पर चर्चा करते नजर आते हैं, तो सेक्रेटरी दिन-रात कागजी कोरम पूरा करने में जुटे दिखाई देते हैं। ऐसा नहीं है कि केवल अधिकारियों-कर्मचारियों में हड़कंप मची हो, बल्कि पूर्व ग्राम प्रधानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती है।

हमारे डुमरियागंज संवाददाता के मुताबिक डुमरियागंज व भनवापुर में काफी हलचल देखी जा रही है। खंड विकास अधिकारी का फरमान भी जारी हो चुका है, जिसके बाद ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम विकास अधिकारी शासन द्वारा भेजे गए फार्मेट पर माथा-पच्ची करने में जुटे हैं। चूंकि 2007 से 2010 के दौरान आन लाइन सुविधा इतनी अपडेट नहीं थी, इसलिए उस बीच का सारा ब्यौरा एकत्र करने में जिम्मेदार कर्मचारियों के पसीने छूट रहे हैं। इन दिनों ब्लाक स्तर पर करीब-करीब सारे काम ठप हैं, केवल सीबीआइ द्वारा मांगी गई रिपोर्ट पर ही काम हो रहा है। दिन का सुकून छिना हुआ है तो रात की नींद भी हराम है। कुछ पूर्व जनप्रतिनिधि भी सीबीआइ की आहट से इन दिनों परेशान से दिख रहे हैं। वह अपने-अपने पूर्व के सेक्रेटरी से बातचीत कर जांच की प्रगति रिपोर्ट भी ले रहे हैं।

वैसे जो स्थिति दिख रही, उससे तय है कि सारी रिपोर्ट के बाद भी सीबीआई ने किसी भी परियोजना का स्थलीय निरीक्षण कर गहनता पूर्वक जांच की तो कई ब्लाकों में मनरेगा का बहुत सारा गड़बड़ झाला सामने आ सकता है। डुमरियागंज के खंड विकास अधिकारी चंद्र शेखर प्रसाद का कहना है कि सीबीआई द्वारा मनरेगा संबंधित अभिलेख मांगे गए हैं। रिपोर्ट यथाशीघ्र जमा हो इसके लिए सभी कर्मचारियों को निर्देश दिए जा चुके हैं।

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''देखिए, सिद्धार्थनगर जनपद की पत्रावली दुरुस्त करने के लिए शासन से आदेश मिले हैं। सूचनाएं शासन को दी जानी है। सीबीआइ यहां की पत्रावली मांग सकती है, इसे लेकर तैयारी हुई है। वैसे अभी तक यह जिला सीबीआइ जांच से वंचित है।''

गिरीश कुमार पाठक

उपायुक्त, श्रम रोजगार

सिद्धार्थनगर।


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