मृदा प्रयोगशाला में लगा ताला
जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर : देश की आर्थिक रीढ़ माने जाने वाले किसानों को कृषि विभाग व शासन स्तर से तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा हवा में है। जमीनी हकीकत पोस्टरों व बैनरों तक सिमट कर रह गये है। बानगी बेनीनगर स्थित मृदा जांच प्रयोगशाला का है।
मिट्टी की जांच हेतु बनाई गयी मृदा प्रयोगशाला विभागीय लापरवाही के चलते बेकार ही साबित हो रही है। मृदा नमूना किसानों से साल भर में दो बार लिये जाते है जो कागजी कोरम पूरा करने तक सीमित रहते है। पहले प्रयोगशाला स्थल पर बिजली का रोना रोया जाता था, इधर विद्युतीकरण हुआ तो अब स्टाफ की कमी का बहाना बनाया जा रहा है। मालूम हो कि वर्ष 2009-10 में तहसील अन्तर्गत बेनीनगर में स्थित उप संभागीय कृषि प्रसार कार्यालय भवन के अंदर एक कमरे में मृदा जांच प्रयोगशाला की स्थापना की गई। जिस पर लाखों रुपये खर्च किये गये। विभाग द्वारा प्रयोगशाला प्रभारी, मृदा विश्लेषक, तकनीकी सहायक समेत पांच नियुक्तियां की गई। कुछ महीनों तक यह लोग जल्द ही बिजली सुविधा के प्रयोगशाला चलाने की बात करते रहे। जिससे कृषकों को काफी उम्मीद जगी कि अब उनके खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति की जांच आसानी से हो जाया करेगी। धीरे-धीरे सभी कार्यक्रम ठंडे बस्ते में चले गये। सभी कर्मचारियों को वापस बस्ती बुला लिया गया। लैब का ताला भी लगातार बंद रहने लगा। तीन महीने पहले जब कार्यशाला में बिजली लगनी शुरू हुई तो किसानों की आस फिर जगी, विद्युतीकरण हुआ, डेढ़ महीना पहले 25 केवीए का लगा ट्रांसफार्मर भी जल गया, परंतु कार्यशाला एक दिन भी नहीं चली। क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों में राकेश कुमार, शत्रुघन पाण्डेय, अब्दुल रहीम, रमापति मौर्य, रामदेव, बलि करन मिश्रा, अवधेश सिंह आदि ने उच्चाधिकारियों से जल्द ही प्रयोगशाला शुरू कराने की मांग की है।
मृदा प्रयोगशाला शुरू कराने की प्रक्रिया चल रही है। ऊपर लिखा-पढ़ी की गई है। एक्सपर्ट को बुलाकर और क्या-क्या सुविधाएं होनी चाहिए, इसकी भी जांच कराई जाएगी। प्रयास जारी है उम्मीद है अक्टूबर-नवंबर में इसका उद्घाटन और अगले रबी तक इसका विधिवत संचालन शुरू हो जाएगा।
डा. राजीव कुमार,
उप कृषि निदेशक - सिद्धार्थनगर