हरित पट्टी से हरियाली गायब
जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर : पर्यावरण को शुद्ध रखने की दिशा में वर्ष 2012 में शुरू शुरू हुआ मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट मुंह के बल गिर चुका है। प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन में शासन की मंशा के बावजूद विभागीय जिम्मेदारों ने गंभीरता नहीं दिखाई। जिसके कारण 7 से 10 किमी मध्य 3 हेक्टेयर के क्षेत्र में हरियाली का सपना हकीकत का रूप नहीं ले सका।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ड्रीम प्रोजेक्ट के अन्तर्गत प्रत्येक जिले में कम से कम दो तहसील क्षेत्रों में हरित पट्टी का विकास किया जाना था। इसमें 8 फुट से ऊंचे पौधों का रोपण कर उसकी सुरक्षा तार आदि से की जानी थी। जबकि पौधे भी उच्च कोटि के लगने थे। सिद्धार्थनगर जनपद में डुमरियागंज, इटवा, बांसी व नौगढ़ चार तहसील क्षेत्र प्रोजेक्ट के लिए चयनित हुए है जिसे हरित पट्टी के रूप में विकसित किया जाना था। डुमरियागंज तहसील क्षेत्र में शाहपुर से सिंगार जोत मार्ग पर सात से दस किमी मध्य तीन हेक्टेअर क्षेत्र में1950 पौधे लगाए लगाए गए। जिसमें शीशम, आम, छितवन, जामुन, अर्जुन आदि उच्च कोटि के पौधे शामिल थे। शुरूआती दौर में विभागीय अफसरों ने सक्रियता दिखाई। 3 हेक्टेयर में सड़क के दोनों किनारे सीमेंट के पोल लगा कर कांटेदार तार द्वारा उसे सुरक्षित करने की कोशिश की गई। परंतु जैसे-जैसे समय बीता, इसकी सुध लेने वाला कोई जिम्मेदार आगे नहीं आया। लाखों रुपए का प्रोजेक्ट उपेक्षा के चलते बदहाली की कगार पर पहुंच गए। अब आलम यह है कि उन्नीस सौ पचास पेड़ों में मुश्किल से सौ पेड़ भी मौके पर बचे हुए होंगे, उनकी भी स्थिति दयनीय है। बिना पानी पौधे सूख कर नष्ट होते गए, साथ हरियाली का सपना भी चकनाचूर होता गया।
धरमेश, गुलारन, बालक चौधरी, राकेश श्रीवास्तव, अरुण पाण्डेय, सुनील, हसनैन आदि ने बताया यदि इन वृक्षों की विभाग विधिवत देखरेख करता तो शायद आज यह क्षेत्र के लिये महत्वपूर्ण उपलब्धि होती, उक्त दूरी क्षेत्र में हरियाली ही हरियाली नजर आती और शासन की हरित पट्टी की मंशा भी अंजाम पा जाती है।
अगस्त 2012 में ड्रीम प्रोजेक्ट की हकीकत जानने हेतु मुख्य वन संरक्षक इलाहाबाद सी बी नाथ ने स्वयं इसका स्थलीय निरीक्षण किया। डीएफओ सिद्धार्थनगर को निर्देशित किया था कि यह अभियान पौधरोपण तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि इसे कैसे सुरक्षित रखा जाए इस पर विशेष कार्य करने की आवश्यकता है। परंतु तत्कालिक निर्देश आगे चलकर ठंडे में बस्ते में चला गया है और आज स्थिति यह है कि हरित पट्टी वाला क्षेत्र उजाड़ बस्ती के रूप में तब्दील हो चुका है।
''प्रोजेक्ट अति महत्वपूर्ण है। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। वह स्वयं वस्तु स्थिति की जानकारी प्राप्त करते हैं। फिर जो संभव जरूरी कदम उठाए जाने होंगे, उठाए जाएंगे।''
पी.एन. सिंह
डीएफओ- सिद्धार्थनगर