मेजर सिक्योरिटी जोन बना नामांकन स्थल
जागरण संवाददाता, सिद्धार्थनगर : इस बार नामांकन के लिए खाकी ने पिछली गलती की पुनरावृत्ति नहीं की। प्रथम दिन अर्थात गुरुवार से ही जनता को आभास हो गया कि वह नामांकन स्थल नहीं, बल्कि मेजर सिक्योरिटी जोन में हैं। यहां तक कि प्रत्याशी को स्वयं रिटर्निंग अफसर तक पहुंचने के लिए 19 चेकिंग प्वाइंट का सामना करना पड़ा। इसमें 6 मेजर प्वाइंट भी हैं। ऐसे में आम आदमी की स्थिति क्या होगी, आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है।
स्थल वही। बदले चेहरों में पुलिस वही। भिन्नता सिर्फ तिथि की, लेकिन यहां रिस्क जैसी कोई बात ही नहीं। साड़ी व विकास भवन के पास दो बैरियर और बीच में कलेक्ट्रेट परिसर। चार पहियों का पहुंचना संभव नहीं। बावजूद इसके बांसी व साड़ी मोड़ पर ही चौपहियों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया। नामांकन के लिए कुल छोटे-बड़े 19 चेकिंग प्वाइंट बनाये गये। इसमें कलेक्ट्रेट के मुख्य गेट से लेकर 6 मेजर प्वाइंट भी शामिल हैं। यहां मेटल डिटेक्टर व अन्य यंत्रों के माध्यम से प्रवेशार्थी का निरीक्षण किया जा रहा है। 24 अप्रैल तक व्यवस्था यही रहेगी। फोर्स के साथ-साथ अपर पुलिस अधीक्षक श्रीप्रकाश द्विवेदी, पुलिस क्षेत्राधिकारी सदर दुर्गा प्रसाद तिवारी, सीओ चुनाव डयूटी आर.के.मिश्र, सीओ शोहरतगढ़ रचना मिश्रा, इटवा राममोहन सिंह, बांसी रामकेवल सरोज, व डुमरियागंज डा.अर्चना सिंह को सुपरवीजन के लिए विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस दौरान अनाधिकृत वाहनों का प्रवेश पूरी तरह वर्जित रहा। इतना ही नहीं यहां से गुजरने वालों की वीडीओ रिकार्डिग भी करायी जा रही है। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था में चूक हो जाये, इसकी कोई संभावना ही नहीं है। बता दें दिसंबर 2011 में कलेक्ट्रेट परिसर में ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए नामांकन हुआ। तब भी नामांकन के लिए ऐसी ही बैरिकेटिंग की गई थी, मगर कलेक्ट्रेट मुख्य द्वार से सुरक्षा बलों की मौजूदगी में असलहा धारियों ने दो जिला पंचायत सदस्यों को अगवा कर लिया था। जनपद पुलिस उस कालिख से अभी तक न उबर पाई। ऐसे में नामांकन के दौरान हर किसी की पुलिस पर विशेष निगाह रहती है।
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चेहरा देख वाहनों को मिली इंट्री
अधिकारियों ने सुरक्षा की रणनीति भले ही बेहतर ढंग से अपना रखी हो, मगर उनके अधीनस्थ चेहरा देख चौपहिया वाहनों की इंट्री देते रहे। यह और बात है कि उनके निशाने पर मीडिया और कुछ संभ्रांत व्यक्ति रहे। इससे समाज में पुलिस के सख्ती का संदेश तो गया ही, मगर सुरक्षा घेरे में मौजूद गैर सरकारी चौपहिया वाहनों ने खाकी की प्राइवेट यारी का प्रमाण भी दिया।
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''नामांकन के लिए सुरक्षा का व्यापक प्रबंध किया गया है। ऐसे में संभव नहीं कि उपद्रवी भीतर दाखिल हो जायें। चेकिंग के लिए 19 व मेजर चेकिंग के लिए 6 प्वाइंट बनाये गये हैं।''
श्री प्रकाश द्विवेदी
अपर पुलिस अधीक्षक, सिद्धार्थनगर