चढ़ावे के 'खेल' में आवासीय योजना फेल
श्रावस्ती: लोहिया आवास आवंटन धांधली पर अधिकारी 'धृतराष्ट्र' बन गए हैं। निर्धारित प्रक्रिया पूरी किए
श्रावस्ती: लोहिया आवास आवंटन धांधली पर अधिकारी 'धृतराष्ट्र' बन गए हैं। निर्धारित प्रक्रिया पूरी किए बिना अपात्रों को खुलेआम आवासीय सुविधा की रेवड़ी बांटी गई है। पात्र खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं तो हवेली वाले गरीब की कतार में खड़े दिखाई दे रहे हैं। 'अपनों' पर रहम बनाने के लिए अधिकारी फौरी जांच कर मामले को जहां का तहां छोड़ देते हैं। नतीजतन ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम प्रधान सांठ-गांठ कर चढ़ावे के खेल को बढ़ावा देकर आवासीय योजना को फेल कर रहे हैं। जांच में पुष्टि होने के बाद भी जिम्मेदारों पर कार्रवाई न होना कहीं न कहीं आला अधिकारियों की नियत में खोट दिखाई दे रहा है।
हरिहरपुररानी विकास क्षेत्र के पटना खरगौरा, केवलपुर व टिकुइयां गांव में 135 लोगों को लोहिया आवास का लाभ दिया गया। इनमें से 47 अनुसूचित जाति, 75 सामान्य व 13 अल्पसंख्यक लाभार्थी चयनित किए गए हैं। अकेले पटना खरगौरा गांव ही 102 लोगों को आवासीय सुविधा का लाभ देने के लिए चुना गया है, लेकिन लाभार्थियों के चयन के लिए खुली बैठक तक नहीं की गई। ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम प्रधान ने लाभार्थियों का नाम तय कर ब्लॉक को भेज दिया। जांच की प्रक्रिया पूरी हो गई और आवास आवंटित कर धन भी खाते में भेज दिया गया। पात्र आवासीय सुविधा पाने के लिए भटकते रहे। काफी जद्दोजहद के बाद की गई फौरी जांच में पटना खरगौरा में छह लोग अपात्र पाए गए, लेकिन जांच पर जब ग्रामीण सवाल उठाने लगे तो जिम्मेदार अधिकारी अब मामले को दबा रहे हैं। इस संबंध में परियोजना निदेशक आरपी कश्यप कहते हैं कि जांच में पाए गए अपात्रों का पैसा बैंक से वापस ले लिया गया है। यदि और अपात्रों को लाभ दिया गया है तो उसकी भी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
ऐसे होना चाहिए लाभार्थियों का चयन
श्रावस्ती: डॉ. राममनोहर लोहिया आवास का लाभ पात्र व्यक्ति को ही मिले इसके लिए सबसे पहले गांव पंचायत की खुली बैठक बुलानी होती है। इसमें सदस्यों की ओर से प्रस्ताव लिए जाते हैं। इन प्रस्तावों पर पात्रता के मानक पर खुली बैठक में चर्चा की जाती है। इस दौरान पात्र लोगों की सूची खंड विकास अधिकारी कार्यालय को सौंपी जाती है। यहां से सूची सीडीओ कार्यालय जाती है। इसके बाद तीन सदस्यीय जिलास्तरीय अधिकारियों की टीम गांव में जाकर लाभार्थियों की पात्रता का सत्यापन करती है। इस टीम की मुहर लगने के बाद सूची अनुमोदन के लिए जिलाधिकारी को भेजी जाती है। डीएम के अनुमोदन के बाद सीडीओ कार्यालय से आवास का पैसा लाभार्थियों के बैंक खाते में भेज दिया जाता है।