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बाढ़ छोड़ गई बीमारियों की दूसरी बाढ़

By Edited By: Published: Thu, 21 Aug 2014 11:19 PM (IST)Updated: Thu, 21 Aug 2014 11:19 PM (IST)
बाढ़ छोड़ गई बीमारियों की दूसरी बाढ़

श्रावस्ती: बाढ़ आएगी तो जाहिर है अपने पीछे बीमारियों की दूसरी बाढ़ छोड़ जाएगी। यह समझने के लिए किसी अस्पताल में जाने की जरूरत नहीं है बल्कि बाढ़ प्रभावित गांवों के मंजर को देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। जल तांडव के बाद कोई ऐसा गांव नहीं है जहां संक्रामक बीमारियों ने दस्तक न दे दी हो। नेपाल के पानी के साथ आए पशु गांवों में प्रदूषण फैलाने के साथ बीमारियों को बढ़ावा दे रहे हैं। हालाकि बीमार लोगों को मेडिकल सुविधा देने के लिए 20 टीमें गठित की गई हैं लेकिन कई ऐसे गांव हैं जहां उल्टी, दस्त और बुखार का प्रकोप है। इसके ज्ञान से स्वास्थ्य विभाग अंजान है। तराई में आई भीषण बाढ़ आपदा से अनाज सड़ गया है। फसलें बर्बाद हो गई हैं। सैकड़ों मकान ढह गए हैं। सड़कों पर अभी भी लोग खुले आसमान के नीचे दिन गुजार रहे हैं। जिधर नजर दौड़ाइए तबाही का मंजर और दशहत ही दिखाई दे रहा है। इतनी बड़ी आपदा आने के बाद भी श्रावस्ती जिले को न तो बचाव के लिए हेलीकॉप्टर मिला और न ही एनडीआरएफ के जवान। पानी जैसे-तैसे निकल गया। नावों और मोटर बोट पर प्रशासन निर्भर रहा। बाढ़ के तेज बहाव में बही फोर लेन सड़क पर आवागमन छह दिन बाद बहाल कर दिया गया। आवागमन बहाल होने से मुसाफिर निहाल हो गए।

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बाढ़ प्रभावित गांव सलारूपुरवा, बरंगा, हसनापुर, कथरा, भरथा, वीरपुर लौकिहा, हरिहरपुर करनपुर जैसे दर्जनों गांवों में उल्टी, दस्त व बुखार के साथ चर्म रोग के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। संक्रामक बीमारी फैलने से रोकने के लिए प्रशासनिक प्रयास कमजोर दिख रहे हैं। राहत व बचाव कार्यो में तेजी लाने के लिए डीएम निखिल चंद्र शुक्ल ने खुद कमान संभाल ली है। प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर टीकाकरण, साफ-सफाई, इलाज, व राहत सामग्रियों के पहुंचने की स्थिति का जायजा ले रहे हैं। इन सब के बावजूद बरंगा, हसनापुर मार्ग पर डेरा डाले 50 परिवार बुखार और उल्टी, दस्त का कहर झेल रहे हैं। बरंगा में अनिल (7), गीता (5), कमलेश (3), संगीता (4), पूजा (3), मनोज (4), आशाराम (6), कोइली (6), कैलाश (4), किरन(12), दीपक(4) व पुष्पा, ऊषा बुखार से तप रहे हैं। इनके परिवारीजनों का कहना है कि इलाज के लिए अभी तक स्वास्थ्य टीम नहीं पहुंची है। पीड़ित मदद को लेकर भी परेशान हैं। सलारूपुरवा में राहत पर गांव की गुटबाजी हावी दिख रही है। ग्राम प्रधान के पति चुनावी खुन्नस निकाल रहे हैं। गिरवर प्रसाद वर्मा के दरवाजे पर अपने परिवार के साथ शरण लिए राजाराम से बेहतर कोई नहीं बता सकता। सबसे दुरा स्थिति वीरपुर लौकिहा में चेतराम के परिवार का है। इनका सात बीघा जमीन नदी में कट गया है। इनके पास कुछ नहीं बचा है। बच्चों की भूख मिटाने के लिए चेतराम व रामकली इधर-उधर मांग कर इंतजाम कर रहे हैं। बरंगा में सुशीला मौर्य बताती हैं कि तीन दिनों से उन्हें भोजन नसीब नहीं हुआ है न ही उन्हें कोई राहत मिली है। लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता एसपी शर्मा अपने दलबल के साथ दिन रात जुट कर फोर लेन पर आवागमन बहाल कराकर टापू बने जिला मुख्यालय को बहराइच और लखनऊ से जोड़ दिया है।

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86 गांवों में हुआ नुकसान का सर्वे

बाढ़ आपदा से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए डीएम ने 49 टीमों का गठन किया है। प्रभावित गांवों में घर-घर जाकर टीमें नुकसान का सर्वे कर रही हैं। दो दिनों में टीम की ओर से कुल 86 गांवों का सर्वे कार्य पूरा कर लिया गया। इसमें जमुनहा तहसील के 15, भिनगा 35 तथा इकौना के 36 गांव शामिल हैं। डीएम निखिल चंद्र शुक्ला ने बताया कि नुकसान का आकलन जैसे-जैसे पूरा होता जाएगा। प्रभावितों को चेक भी बंटता जाएगा।

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34 शिविरों में बांटा जा रहा भोजन

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को भूख से राहत दिलाने के लिए 34 शिविर लगाए गए हैं। इन शिविरों में प्रभावितों को भोजन व पानी बांटा जा रहा है। डीएम शुक्ला ने बताया कि भिनगा तहसील के पटना खरगौरा, खजुहा झुनझुनिया, अमवा व मोहम्मदपुर कला, तिलकपुर, टिकुइया, कोकल, मटखनवा व राजावीरपुर समेत 17 स्थानों पर, इकौना तहसील के पुरषोत्तमपुर, फतुहापुर, सिसवारा, जानकीनगर खुर्द, डिंगुराजोत, राजगढ़ गुलरिहा व सेमगढ़ा में कैंप लगाकर पीड़ितों में भोजन बांटा जा रहा है। इसी प्रकार जमुनहा तहसील क्षेत्र के वीरपुर लौकिहा, कथरामाफी, सर्रा, संगमपुरवा व जोगिया समेत 10 स्थानों पर भोजन वितरण का कैंप चल रहा है। इसके अलावा समाजसेवी मिथलेश शुक्ला की ओर से भी मोबाइल बाढ़ राहत शिविर लगाकर पीड़ितों को भोजन की व्यवस्था कराई जा रही है।

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950 पशुओं का टीकाकरण

बाढ़ का पानी निकलने के बाद पशुओं में बीमारी फैलने से रोकने के लिए दस टीमें लगाई गई हैं। इन टीमों की ओर से प्रभावित गांवों का दौरा कर 950 पशुओं का टीकाकरण किया गया है। अब तक 80 पशुओं का टीम की ओर से इलाज भी किया जा चुका है। इनमें 30 बड़े तथा 50 छोटे पशु शामिल हैं।

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क्षति आकलन में लगे शिक्षक

बाढ़ के पानी से घिरे 146 परिषदीय विद्यालयों के 163 शिक्षक व शिक्षामित्र क्षति का आकलन करने के लिए लगाए गए हैं। बाढ़ आपदा से प्रभावित लोगों को मदद देने तथा भोजन उपलब्ध कराने के लिए 34 स्थानों पर कैंप लगाए गए हैं। बीएसए बुद्ध प्रिय सिंह ने बताया कि इन कैंपों पर भोजन निर्माण के लिए दो-दो रसोइयों की तैनाती की गई है। उन्होंने बताया कि ये रसोइए उसी विद्यालय के होंगे जिस गांव में कैंप लगाए गए हैं।

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मुख्यालय न छोड़े अधिकारी व कर्मी

मुख्य चिकित्याधिकारी डॉ. एमपी कसौंधन ने जिले में बाढ़ग्रस्त, जलभराव, संक्रामक रोग के दृष्टिगत सभी अधिकारी एवं कर्मचारियों को अग्रिम आदेशों तक अनिवार्य रूप से अपने-अपने मुख्यालय पर निवास करने का आदेश दिया है। अन्यथा की स्थिति में उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी है। सीएमओ ने बताया कि इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध उच्च अधिकारियों को प्रशासनिक कार्रवाई के लिए अवगत कराया जाएगा।

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ब्लॉक स्तर पर मोबाइल टीमें गठित

श्रावस्ती में बाढ़ ग्रस्त, जलभराव, संक्रामक रोग के दृष्टिगत बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में चिकित्सकीय सुविधा प्रदान किए जाने के लिए डीएम के स्तर से बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में ब्लॉक स्तर से पांच-पांच मोबाइल टीमों का गठन किया गया है। डीएम ने बताया कि कार्ययोजना तैयार कर प्रतिदिन की दैनिक सूचना सायं 4:30 बजे ईमेल के माध्यम से सीएमओ कार्यालय में रिपोर्ट प्रेषित करेंगे।


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