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आखिर कब मिलेगी निरक्षरता के अभिशाप से मुक्ति

मुकेश कुमार, श्रावस्ती: महात्मा बुद्ध की तपोस्थली श्रावस्ती का नाम जैसे ही जेहन में कौंधता है हर किस

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Apr 2017 12:24 AM (IST)Updated: Tue, 25 Apr 2017 12:24 AM (IST)
आखिर कब मिलेगी निरक्षरता के अभिशाप से मुक्ति
आखिर कब मिलेगी निरक्षरता के अभिशाप से मुक्ति

मुकेश कुमार, श्रावस्ती: महात्मा बुद्ध की तपोस्थली श्रावस्ती का नाम जैसे ही जेहन में कौंधता है हर किसी को यहां की आबोहवा में ज्ञान की गंगा बहती नजर आती है पर शिक्षा के नजरिए से देखें तो यहां अशिक्षा का तम छाया हुआ है और यहां की साक्षरता दर महज 49 फीसदी पर ठिठकी हुई है। इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण होने के पहले ही 60 फीसदी नौनिहाल स्कूल छोड़ जाते हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि निरक्षरता के अभिशाप से कब यहां की बहुतायत आबादी को निजात मिलेगी।

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21वीं सदी में दस्तक दिए डेढ़ दशक से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन यहां की आधी आबादी भी साक्षरता के वैरियर को पार नहीं कर सकी है। जिले का साक्षरता दर 49.13 प्रतिशत है, जबकि प्राथमिक स्तर पर ही स्कूल छोड़ने बच्चों की तादाद 2.3 प्रतिशत है। पिछले वर्ष प्राथमिक से उच्च प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश से 80 बच्चों ने किनारा कस लिया। जिले में एक लाख 13 हजार बच्चों ने दाखिला लिया है, जबकि जूनियर हाईस्कूलों में यह तादाद साढ़े 30 हजार है। इन बच्चों के अध्ययन के लिए जिले 888 प्राथमिक विद्यालय व 391 जूनियर हाईस्कूल स्थापित हैं। जिले में कुल 26 राजकीय विद्यालय हैं, जिसमें 23 हाईस्कूल स्तर के व तीन इंटर कॉलेज हैं। शासकीय सहायता प्राप्त स्कूलों की संख्या कुल नौ है, जिसमें छह इंटर कॉलेज व तीन हाईस्कूल शामिल हैं। इसके अलावा वित्तविहीन 43 इंटर कॉलेज व 29 हाईस्कूल चल रहे हैं। इन स्कूलों में 48 हजार के आसपास छात्रों ने प्रवेश ले रखा है।

महज 37 फीसदी महिलाएं ही साक्षर

-पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की साक्षरता दर काफी कम है। यहां पुरुष 59.55 फीसदी साक्षर हैं तो वहीं महिलाएं 37.07 प्रतिशत। इसे साक्षरता के नजरिए से काफी कम माना जा रहा है। जिले में तमाम कवायद के बावजूद साक्षरता मिशन गति नहीं पकड़ पा रहा है।

महज सात महाविद्यालय

-12 लाख की आबादी के इस जिले में महाविद्यालयों की संख्या महज सात है। इन महाविद्यालयों में भी अधिकांश में योग्य प्राध्यापकों का अकाल है। यही नहीं वाणिज्य व विज्ञान से संबंधित तमाम विषय हैं ही नहीं। यहां तक कि वकालत की शिक्षा भी ग्रहण करने के लिए यहां के छात्रों को बलरामपुर, बहराइच, गोंडा अथवा अन्य जिलों की ओर रुख करना पड़ता है। यहां तकनीकी शिक्षा देने के लिए दो पॉलीटेक्निक व तीन आइटीआइ हैं। इनमें भी कई महत्वपूर्ण ट्रेड नदारद हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक अनूप कुमार बताते हैं कि यहां शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए खास पहल की जरूरत है।

राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों का अकाल

पद नाम सृजित पद तैनाती

प्रधानाचार्य 27 01

प्रवक्ता 27 08

सहायक शिक्षक 170 25

सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों की स्थिति

पद नाम सृजित पद तैनाती

प्रधानाचार्य 06 03

प्रवक्ता 39 29

सहायक शिक्षक 120 63

ज्ञान केंद्र का मॉडल बना श्रावस्ती

-श्रावस्ती जिले में ज्ञान केंद्र की स्थापना की जो शुरुआत जिलाधिकारी नितीश कुमार ने यहां आने के बाद की वह प्रदेश के लिए मॉडल बन गया है। यहां उन्होंने जिला मुख्यालय पर स्थित जूनियर हाईस्कूल भिनगा के जर्जर भवन का कायाकल्प कराकर ज्ञान केंद्र में तब्दील किया और वहां लगभग तीन हजार किताबें पुस्तक प्रेमियों के लिए उपलब्ध कराई। यही नहीं जिला मुख्यालय पर राजकीय पुस्तकालय का भवन भी तेजी से निर्मित कराया जा रहा है। इसके अलावा न्याय पंचायत स्तर पर बदहाल पंचायत भवनों का कायाकल्प कर महज 30 हजार रुपये की लागत से ग्राम पुस्तकालय की स्थापना कराई, जिसमें दैनिक अखबार, पत्रिकाएं एवं प्रेरक किताबें उपलब्ध कराई गई। श्रावस्ती के इस मॉडल को प्रदेश स्तर पर सराहना मिली और राज्य सरकार ने अपना लिया।

शिक्षा के प्रसार के लिए सक्रिय देहात

-देहात संस्था इस जिले में प्रसार के लिए सक्रिय है। इसके लिए उसे अंतराष्ट्रीय संस्था यूनीसेफ व एक्सन एड से सहयोग मिल रहा है। इस संस्था ने मुस्कान परियोजना के तहत विद्यालय प्रबंध समिति का गठन कर उन्हें जागरूक कर रही है, ताकि वें अपने बच्चों के अधिकारियों के लिए आवाज उठा सकें। इस परियोजना की समन्वयक शिल्पी सिंह बताती हैं कि अभी इस जिले में जागरूकता की काफी कमी है। यहां और काम किए जाने की जरूरत है।


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